मोदी असर की काट को सवालों का तरकश
पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर झेल चुकी कांग्रेस को अब नगर निकाय चुनावों में भी यह खौफ तारी है।
-कांग्रेस के दृष्टिपत्र में शहरी मतदाताओं पर मोदी असर का खौफ तारी
-पांच साल में केंद्र सरकार के फैसलों पर मतदाताओं से पूछे सवाल
राज्य ब्यूरो, देहरादून
पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर झेल चुकी कांग्रेस को अब नगर निकाय चुनावों में भी यह खौफ तारी है। यह किसी चुनावी फिजा से जाहिर नहीं हो रहा, बल्कि नगर निकाय चुनाव के लिए जारी कांग्रेस का दृष्टिपत्र खुद इसकी बानगी है। प्रदेश में छोटी सरकार यानी निकाय सरकार के लिए होने जा रहे चुनाव में कांग्रेस ने सबसे पहला व सीधा हमला केंद्र की मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला है। पांच साल में मोदी सरकार के तमाम फैसलों पर प्रश्नवाचक खड़े कर मतदाताओं से एक दर्जन से ज्यादा सवाल पूछ डाले हैं। निकायों के लिए दृष्टिपत्र तैयार करने में पार्टी ने जिस अंदाज में मशक्कत की है, वह आगामी लोकसभा चुनाव की रिहर्सल भी साफतौर पर झलक रही है। यानी पार्टी ये मानकर भी चल रही है कि निकाय चुनाव के नतीजे शहरी क्षेत्रों में केंद्र की मोदी सरकार के लिए मतदाताओं का फीडबैक होंगे।
इसे शहरी मतदाताओं में भाजपा की पैठ यानी मोदी लहर का असर मानें कि प्रदेश में नगर निकायों के लिए जारी किए गए कांग्रेस के दृष्टिपत्र में सबसे पहले सीधे तौर पर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया गया है। राज्य सरकार को तो दृष्टिपत्र के बहाने परोक्ष तौर पर मांगों का पुलिंदा थमाया गया है। प्रमुख विपक्षी पार्टी ने 18 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले मतदाताओं को यह भी याद दिलाई कि 73वें व 74वें संविधान संशोधन कांग्रेस शासनकाल में हुए। प्रदेश कांग्रेस ने देश में पंथ निरपेक्षता के सिद्धांत का पालन करने समेत सात बिंदुओं में केंद्र सरकार के दायित्व बताते हुए परोक्ष तौर पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया।
निकाय चुनाव के दृष्टिपत्र में वर्ष 2019 में केंद्र की सरकार के चुने जाने के लिए मौजूदा मोदी सरकार के पांच वर्षो में हुए अहम बदलावों को लेकर मतदाताओं को अनुस्मारक पत्र प्रस्तुत किया है। इसमें नोटबंदी, जीएसटी, योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग, उत्तराखंड को केंद्र से मिलने वाली विशेष सहायता पर रोक, नगर निकायों में जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्युअल मिशन को समाप्त कर नई व्यवस्था में मलिन बस्ती सुधार योजनाओं पर रोक लगने को मुद्दा बनाते हुए मतदाताओं से आकलन करने को कहा गया है।
देशी बाजार में विदेशी आयतित सामान की भरमार, केंद्रीय संस्थाओं के साथ केंद्र सरकार के टकराव, बगैर संसाधन के चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान, पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दामों में वृद्धि के साथ ही सुप्रीम कोर्ट, आरबीआइ, सीबीआइ में हस्तक्षेप के आरोप केंद्र सरकार पर लगाए गए हैं। जाहिर है कि शहरी मतदाताओं के अपेक्षाकृत बुद्धिजीवी वर्ग को मथने के लिए कांग्रेस ने अपने तरकश को कई तरह के तीर शामिल किए हैं। नगर निकाय चुनाव में देरी और छह माह बीतने पर भी रुडकी, बाजपुर व श्रीनगर, सेलाकुई, भतरौज खान नगर निकायों में चुनाव नहीं होने पर भी कांग्रेस ने सीधे सवाल खड़े किए हैं।