उत्तराखंड में महिलाओं के सिर से हटेगा घास का बोझ, जानिए क्या है योजना

पशुपालन विभाग एवं मत्स्य विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पशुपालन विभाग को ये निर्देश दिए हैं कि दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त आहार की व्यवस्था घरों तक करने के लिए कदम उठाए जाएं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 01:11 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 01:11 PM (IST)
उत्तराखंड में महिलाओं के सिर से हटेगा घास का बोझ, जानिए क्या है योजना
उत्तराखंड में महिलाओं के सिर से हटेगा घास का बोझ, जानिए क्या है योजना। फाइल फोटो

देहरादून, राज्य ब्यूरो। पशुओं के लिए आहार जुटाने के मद्देनजर महिलाओं के सिर से घास, चारापत्ती का बोझ हटेगा। पशुपालन विभाग एवं मत्स्य विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए कि दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त आहार की व्यवस्था घरों तक करने के लिए कदम उठाए जाएं। उन्होंने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन विभाग की योजनाओं की प्रगति की हर माह राज्य स्तर पर समीक्षा करने को भी कहा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग के टोल फ्री नंबर 1800-120-8862 की शुरुआत भी की।

सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में हर साल पशुओं के लिए घास, चारा पत्ती काटते अथवा लाते वक्त गिरने अथवा जंगली जानवरों की वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटनाएं न हों, इसके लिए प्रभावी कदम उठाने आवश्यक हैं। मुख्यमंत्री ने महिलाओं को कौशल विकास की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ने पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी के लिए सहकारी समितियां बनाने पर जोर दिया। इससे पशुपालक दुग्ध उत्पादन व मार्केटिंग करेंगे तो उनके लाभ में वृद्धि होगी। दुग्ध और इससे बनने वाले उत्पादों के लिए ग्रोथ सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों और सरकारी योजनाओं के बारे में जनसामान्य को जागरूक करने पर फोकस करना होगा। 

उन्होंने कहा कि ऊन उत्पादन से पशुपालकों की आय में कैसे वृद्धि की जा सकती है, इस दिशा में भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने पोल्ट्री, दुग्ध व ऊन उत्पादन के क्षेत्र में जिलेवार प्रगति की निगरानी का सिस्टम बनाने के निर्देश भी दिए।17.34 लाख पशुओं का टीकाकरणबैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में पशुपालन विभाग ने 523 व्यक्तियों को ऋण मुहैया कराया है। पर्वतीय राज्यों में दुग्ध उत्पादन में राज्य का दूसरा स्थान है। पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 17.34 लाख पशुओं का टीकाकरण किया गया है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 16.80 करोड़ की राशि अवमुक्त की गई है। पशुधन बीमा में 77 हजार पशुओं का बीमा किया गया है। पशुओं के खुरपका व मुंहपका रोग को 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य है। 

मत्स्य पालन को बढ़ाएं फंडिंग

मत्स्य विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्यपालन में लोग रुचि दिखा रहे हैं। इसमें कम खर्च पर ज्यादा लोग रोजगार पा सकते हैं। ऐसे में फिशरीज के लिए फंडिंग बढ़ाई जाए। ट्राउट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 43.10 करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं। तीन करोड़ रुपये अवमुक्त किए गए हैं। समेकित सहकारिता विकास परियोजना में 164 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस योजना में 3200 व्यक्तियों को रोजगार मिला है। 

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