Chardham Yatra में मौसम का उतार-चढ़ाव अटका रहा सांसें, अब तक 92 श्रद्धालुओं की मौत

Chardham Yatra 2022 तीन मई को कपाट खुलने से लेकर अब तक रोजाना औसतन तीन से चार श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो मौसम का यह उतार-चढ़ाव मानव शरीर में भारी असंतुलन पैदा कर रहा है।

By Nirmala BohraEdited By: Publish:Fri, 27 May 2022 08:23 AM (IST) Updated:Fri, 27 May 2022 08:23 AM (IST)
Chardham Yatra में मौसम का उतार-चढ़ाव अटका रहा सांसें, अब तक 92 श्रद्धालुओं की मौत
Chardham Yatra 2022 : बर्फबारी व कड़ाके की ठंड श्रद्धालुओं के जीवन पर पड़ रही भारी

हरीश तिवारी, ऋषिकेश : Chardham Yatra 2022 : उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण चारधाम में आक्सीजन की कमी, बर्फबारी व कड़ाके की ठंड श्रद्धालुओं के जीवन पर भारी पड़ रही है।

तीन मई को कपाट खुलने से लेकर अब तक रोजाना औसतन तीन से चार श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो मौसम का यह उतार-चढ़ाव मानव शरीर में भारी असंतुलन पैदा कर रहा है। यह स्थिति अंतत: उनकी मौत का कारण बन रही है।

अब तक 92 श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश समेत चारों धाम में तोड़ा दम

चारधाम में हृदयाघात से मरने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते तीन दिनों में 24 श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ चुके हैं। जबकि, अब तक 92 श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश समेत चारों धाम में दम तोड़ा। गुरुवार को केदारनाथ में चार, बदरीनाथ में तीन, यमुनोत्री में दो और गंगोत्री में एक श्रद्धालु की मौत हृदयाघात से हुई।

हाइपोथर्मिया की शिकायत सामान्य

उच्च हिमालयी क्षेत्र के अत्याधिक ठंडे मौसम में हाइपोथर्मिया की शिकायत सामान्य हो गई है। इससे पीडि़त की अचानक मौत तक हो जा रही है। चारधाम में ग्रीष्म काल के दौरान बारिश और बर्फबारी होना सामान्य बात है, लेकिन यदा-कदा इतनी ऊंचाई पर आने वालों का शरीर प्राकृतिक रूप से ऐसी परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं रहता।

ऐसे में मौसम का यह उतार-चढ़ाव शरीर के भीतर रक्त संचार प्रणाली और श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। एम्स ऋषिकेश में कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अजीत भदौरिया के अनुसार मौसम के इस असंतुलन में चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं को चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर ही यात्रा करनी चाहिए। इसमें जरा-सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।

परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को कैसे ढालें हवा के दबाव में परिवर्तन के अनुसार शरीर को प्रशिक्षित करें शराब और तंबाकू के सेवन से बचें शरीर को पूरी तरह ऊनी कपड़ों से ढककर रखें लगातार यात्रा करने से बचें, बार-बार आराम करें प्रतिदिन चार से पांच लीटर गुनगुना या गर्म पानी पियें। बेहतर होगा कि यात्रा पूर्व स्वास्थ्य जांच अवश्य करा लें वृद्ध लोग उच्च हिमालयी क्षेत्र की यात्रा करने से परहेज करें यदि संभव हो तो पैदल मार्ग का सफर धीरे-धीरे तय करें हल्का एवं उच्च कैलोरी वाला भोजन लें। आसानी से पाचन के लिए भोजन कम मात्रा में लें पहले 24 घंटों के लिए जोरदार व्यायाम से परहेज करें

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