Uttarakhand By Election 2021: सल्ट में कांग्रेस के सामने धड़ेबंदी को साधने की चुनौती

Uttarakhand By Election 2021 सल्ट उपचुनाव में भाजपा को मजबूती से टक्कर देने की तैयारी कर रही कांग्रेस के सामने गुटबाजी को साधने की सबसे बड़ी चुनौती है। आम सहमति से प्रत्याशी चुने जाने की कवायद के बीच जिसतरह धड़ेबंदी हुई उससे पार्टी के माथे पर बल पड़े हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 04 Apr 2021 06:30 AM (IST)
Uttarakhand By Election 2021: सल्ट में कांग्रेस के सामने धड़ेबंदी को साधने की चुनौती
सल्ट उपचुनाव में कांग्रेस के सामने गुटबाजी को साधने की सबसे बड़ी चुनौती है।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। Uttarakhand By Election 2021 सल्ट उपचुनाव में भाजपा को मजबूती से टक्कर देने की तैयारी कर रही कांग्रेस के सामने गुटबाजी को साधने की सबसे बड़ी चुनौती है। आम सहमति से प्रत्याशी चुने जाने की कवायद के बीच जिस तरह धड़ेबंदी हुई, उससे पार्टी के माथे पर बल पड़े हैं। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव समेत तमाम दिग्गजों ने गुटीय संतुलन साधने की कवायद तेज कर दी है।

सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव भाजपा की तीरथ सिंह रावत सरकार के लिए तो परीक्षा की घड़ी है ही, इसके जरिये कांग्रेस भी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से खुद को तौलना चाहती है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा सिरदर्द भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत है। लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, कांग्रेस इस प्रचंड बहुमत को चुनौती देने की हालत में दिखाई नहीं दी है। सरकार और भाजपा के खिलाफ जनाक्रोश को मुद्दा बना रही कांग्रेस को अब सल्ट उपचुनाव से बड़ी आस है। इस सीट पर मिलने वाली कामयाबी अगले चुनाव में पार्टी का मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी।

पिछले चुनाव में एकजुट थी कांग्रेस

प्रमुख विपक्षी दल की ये आस बेमायने नहीं है। दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। पार्टी को महज 2900 वोटों से यह सीट गंवानी पड़ी थी। तब भी इस सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी गंगा पंचोली ही थीं। उपचुनाव में पार्टी ने उन पर विश्वास बनाए रखा है। हालांकि, इस उपचुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी परिस्थितियों में बदलाव भी दिख रहा है। पिछले चुनाव में जहां कांग्रेस एकजुट थी तो इस उपचुनाव में इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ रखने वाले दिग्गज नेताओं के बीच खींचतान फिर सतह पर दिखाई दी है।

गंगा की दावेदारी पर जोर से बढ़ी दूरियां

गंगा पंचोली की दावेदारी के दौरान पार्टी में गुटबंदी ने खींचतान को हवा-पानी और खाद मुहैया कराई है। दरअसल, इस सीट पर पारंपरिक रूप से पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में रणजीत सिंह रावत ने रामनगर से चुनाव लड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कभी उनके करीबी सलाहकारों में शामिल रणजीत सिंह रावत के बीच रिश्ते अब तल्ख हो चुके हैं। रणजीत के पुत्र और सल्ट ब्लाक के प्रमुख विक्रम सिंह रावत भी पार्टी टिकट के दावेदारों में रहे हैं। गंगा पंचोली के समर्थन में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पैरवी ने असर दिखाया है, उससे दोनों के बीच कड़वाहट कम होने के बजाय बढ़ी है।

चुनाव संचालन में तालमेल पर जोर

कांग्रेस को सबसे पहले इस चुनौती से पार पाना है। इसे ध्यान में रखकर ही प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव तीन दिनी दौरे के लिए पहुंच चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सल्ट उपचुनाव के लिए जिस चुनाव संचालन समिति का गठन किया है, उसमें हरीश रावत समर्थकों के साथ रणजीत सिंह रावत और विक्रम दोनों को शामिल किया गया है। समिति में ऐसे विधायक और नेता भी हैं, जो अब भी दोनों गुटों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं। चुनाव संचालन समिति के साथ ही स्थानीय स्तर पर कार्यकर्त्ताओं के साथ होने वाली बैठकों में गुटीय संतुलन पर खास जोर रहने वाला है।

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