सीसीआइ ने कृषि विपणन बोर्ड पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना, जानिए वजह

सीसीआइ ने पिछली कांग्रेस सरकार में आइएमएफएल की खरीद को लेकर अपनाए गए नियमों को गलत ठहराया है। सीसीआइ ने इस मामले में यूएपीबीएम की विदेशी मदिरा की खरीद को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया को अधिकारों का दुरुपयोग करना माना है और उस पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 09:30 AM (IST) Updated:Sun, 04 Apr 2021 09:30 AM (IST)
सीसीआइ ने कृषि विपणन बोर्ड पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना, जानिए वजह
सीसीआइ ने कृषि विपणन बोर्ड पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कम्पीटिशन कमीशन आफ इंडिया (सीसीआइ) ने पिछली कांग्रेस सरकार में इंडियन मेड फारेन लिकर (आइएमएफएल) की खरीद को लेकर अपनाए गए नियमों को गलत ठहराया है। सीसीआइ ने इस मामले में उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड (यूएपीबीएम) की विदेशी मदिरा की खरीद को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया को अधिकारों का दुरुपयोग करना माना है और उस पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। अब शासन सीसीआइ के इस फैसले की प्रति के अधिकारिक रूप से मिलने इंतजार कर रहा है, ताकि इसके अनुसार आगे कदम उठाया जा सके। 

उत्तराखंड में वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव किया था। इसके तहत सरकार ने प्रदेश में शराब के गोदाम (एफएल 2) खोलने का अधिकार यूबीपीबीएम को दिया था। वहीं, जिलों में जीएमवीएन और केएमवीएन को यह जिम्मेदारी दी गई थी। शराब की खरीद यूएपीबीएम के जरिये की गई। इस दौरान प्रदेश में शराब का एक नया ब्रांड विशेष बहुत तेजी से प्रचलित हो गया। एफएल 2 में भी इसी ब्रांड के उत्पाद रखे गए। इससे पहले हर नामी शराब कंपनी शहरों में अपने गोदाम खोल सकती थी। नई व्यवस्था से बदलाव यह हुआ कि नामी कंपनियों के ब्रांड बाजार में बिकने कम हो गए।

इस पूरे प्रकरण में सरकार, मंडी परिषद और आबकारी आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। यह मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट में भी पहुंचा। जहां शराब कंपनियों की ओर से पी चिदंबरम ने भी पैरवी की। तब हाई कोर्ट ने तत्कालीन सरकार को सभी कंपनियों का न्यूनतम स्टाक रखने के आदेश भी दिए। इसके बाद शराब कंपनियां वर्ष 2016 में ही यह मामला लेकर सीसीआइ के पास भी पहुंची।

इस बीच प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और यह व्यवस्था समाप्त हो गई। अब सीसीआइ ने भी अपने फैसले में पूरे प्रकरण में यूएपीबीएम की भूमिका पर भी सवाल उठा दिए हैं। सीसीआइ के इस फैसले के बाद यह माना जा रहा है कि उस वक्त सरकार को राजस्व का जो घाटा हुआ उसके जिम्मेदार यूएपीबीएम और आबकारी आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों से जवाब तलब किया जा सकता है।

सचिव आबकारी सचिन कुर्वे का कहना है कि आदेश का इंतजार किया जा रहा है। इसके अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। कृषि विपणन बोर्ड में इस मामले के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी चीफ इंजीनियर विजय कुमार का भी कहना है कि इस तरह का आदेश होने की बात संज्ञान में आई है लेकिन बोर्ड को अभी तक कमीशन का कोई कोई अधिकारिक आदेश नहीं मिला है।

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