जैविक खेती से किसानों की आय बढ़ाने की तैयारी

राज्य में किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक तरीके से पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही उत्तराखंड जैविक कृषि विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 09:07 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 09:07 PM (IST)
जैविक खेती से किसानों की आय बढ़ाने की तैयारी
जैविक खेती से किसानों की आय बढ़ाने की तैयारी

राज्य ब्यूरो, देहरादून: राज्य में किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक तरीके से पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही उत्तराखंड जैविक कृषि विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। कैबिनेट ने इसके मसौदे पर अपनी मुहर लगा दी है। इसकी शुरुआत आठ ब्लॉकों से की जा रही है, जिन्हें जल्द ही चिह्नित किया जाएगा। प्रस्तावित अधिनियम न केवल जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया का सरलीकरण करेगा, बल्कि कृषकों को उनके उत्पादों को जैविक रूप में प्रमाणित कराने में मददगार होगा। अधिनियम के मसौदे में किसी उपबंध का उल्लंघन करने पर कारावास व जुमाने का भी प्रावधान किया गया है।

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से ही जैविक खेती होती आई है। यहां धीरे-धीरे रसायनिक और सिंथेटिक खाद पहुंच रही है, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति घटने के साथ ही पौष्टिक कृषि उत्पादन में कमी आ रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार अब जैविक खेती की ओर कदम बढ़ा रही है। बुधवार को हुई कैबिनेट में उत्तराखंड जैविक अधिनियम के मसौदे पर मुहर लगाई गई। इसके तहत प्रदेश में कुछ चिह्नित स्थानों से जैविक खेती की शुरुआत की जाएगी। इसमें रसायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों व बाहरी चीजों का प्रयोग किए खेती की जाएगी। मकसद यह कि इससे पौष्टिक कृषि उत्पाद मिल सकें। इनमें सभी कृषि फसलों को शामिल किया गया है। इसके अलावा जैविक खेती के लिए चिह्नित क्षेत्रों में खरपतवार नाशकों, पशु चिकित्सा दवाओं व पशु चारा की खरीद को नियंत्रित किया जाएगा। प्रस्तावित मसौदे में कृषि उत्पादों को जैविक के रूप में प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज भी दिए जाएंगे। इसके लिए उत्पादक, क्रेता तथा विपणन संस्थाओं का राज्य में बिना कोई शुल्क लिए पंजीकरण किया जाएगा। इससे प्रदेश में जैविक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलने के साथ ही कृषकों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य मिल सकेगा। इस अधिनियम में जैविक उत्तराखंड ब्रांड को प्रोत्साहित करने की भी व्यवस्था की गई है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी व्यवस्था की गई है।

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