ये छात्र बंद आंखों से शतरंज का घोड़ा दौड़ाकर मनवा रहे अपना लोहा

राष्ट्रीय दृष्टिदिव्यांग एवं सशक्तीकरण संस्थान के दृष्टिहीन छात्र अब शतरंज के खेल में भी पहचान बनाने लगे हैं। ये उनकी प्रतिभा ही है कि वे बड़े से बड़े खिलाड़ी को मात दे रहे हैं।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 09:20 AM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 08:11 PM (IST)
ये छात्र बंद आंखों से शतरंज का घोड़ा दौड़ाकर मनवा रहे अपना लोहा
ये छात्र बंद आंखों से शतरंज का घोड़ा दौड़ाकर मनवा रहे अपना लोहा

देहरादून, गौरव ममगाईं। आंखों की रोशनी नहीं है, मगर प्रतिभा से जीवन रोशन हो रहा है। देखने में ये दृष्टिहीन छात्र भले ही साधारण से लगे, लेकिन इनकी क्षमताएं असाधारण हैं। क्रिकेट, फुटबाल में तो इनका पहले से ही जवाब नहीं। अब ये शतरंज के खेल में भी बड़े से बड़े खिलाड़ी को मात दे रहे हैं। बात हो रही है राष्ट्रीय दृष्टिदिव्यांग एवं सशक्तीकरण संस्थान (एनआइईपीवीडी) के दृष्टिहीन छात्रों की, जो अब शतरंज के खेल में भी पहचान बनाने लगे हैं।

वैसे तो एनआइईपीवीडी देहरादून किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यहां के दृष्टिहीन छात्रों में छिपी प्रतिभा ही है कि इस संस्थान को राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय फलक पर जाना जाता है। इन दिनों यहां के छात्र शतरंज के चैंपियन के रूप में पुकारे जाने लगे हैं। 

यह जानकर आपको थोड़ा ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है। वजीर घोड़े के इस खेल में इन खिलाडिय़ों की हर फैसले में एक चाल छिपी होती है और यह चाल बिसात बिछाने का काम करती है। इनकी बिसात से बचना हर किसी के बस की बात नहीं होता। देखने में भले ही यह मामूली खिलाड़ी लगे, लेकिन शतरंज में इनका वाकई में कोई जवाब नहीं। 

कैसे खेलते हैं शतरंज

दृष्टिहीनों के लिए एक विशेष शतरंज बनाया जाता है। इसमें ब्लैक लाइन थोड़ी उभरी सी होती है। जबकि, व्हाइट लाइन सामान्य होती है। इससे इन्हें ब्लैक व व्हाइट लाइन का आभास हो जाता है। वहीं, व्हाइट गोटी के टॉप में एक डॉट होता है, जबकि ब्लैक गोटी सामान्य होती हैं। इससे भी इन्हें छूकर ब्लैक व व्हाइट गोटी का आभास होता है। शतरंज सामान्य तरह से ही खेला जाता है।

नेशनल खेल रहे खिलाड़ी

एनआइईपीवीडी के खेल शिक्षक नरेश सिंह नयाल ने कहा कि दिनेश सिंह व कमल कुमार स्कूल से 12वीं पास करके निकले हैं, जो वर्तमान में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्र्रेजुएशन कर रहे हैं। वह ब्लाइंड शतरंज में नेशनल चैंपियन हैं। नयाल ने कहा कि साहिल, देवेंद्र भी शतरंज में माहिर हैं। वे कई स्टेट व नेशनल प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं। 

जगमोहन ने जीता कांस्य पदक 

जगमोहन सहाय गत जनवरी में इंडियन ब्लाइंड स्पोर्टस एसोसिएशन की ओर से दिल्ली में आयोजित नेशनल चेस चैंपियनशिप-2019 में कांस्य पदक जीत चुके हैं। जगमोहन 12वीं कक्षा के छात्र हैं।

रैंकिंग प्लेयर में शामिल दिनेश 

छात्र दिनेश चंद्र व मुकुल पिछले तीन वर्षों से नेशनल चेस प्रतियोगिता खेल रहे हैं। चेस की अंतरराष्ट्रीय संस्था फिडे की ओर से दिनेश चंद्र को रैंकिंग प्लेयर में शामिल किया गया है।

असाधारण क्षमता के हैं धनी 

राष्ट्रीय दृष्टिदिव्यांग एवं सशक्तीकरण संस्थान देहरादून के निदेशक नचिकेता राउत के अमुसार संस्थान के छात्रों का शतरंज में कोई जवाब नहीं है। दृष्टि न होने के बावजूद छात्रों में असाधारण क्षमताएं हैं, जो इस खेल में किसी भी मात दे सकते हैं। संस्थान के कई छात्र नेशनल प्रतियोगिताएं भी जीत चुके हैं।  

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