सीएम हरीश रावत पर लगाया 71 करोड़ के घपले का आरोप

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि 71 करोड़ रुपये का घोटाले के आरोप में सीएम हरीश रावत पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

By gaurav kalaEdited By: Publish:Tue, 05 Jul 2016 09:07 PM (IST) Updated:Tue, 05 Jul 2016 09:24 PM (IST)
सीएम हरीश रावत पर लगाया 71 करोड़ के घपले का आरोप

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री हरीश रावत व उनके निजी स्टाफ पर एससीएसपी (अनुसूचित जाति उपयोजना) व टीएसपी (अनुसूचित जनजाति उपयोजना) के क्रियान्वयन में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अधिनियम का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ द्वारा योजनाओं का चयन कर 71 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। ऐसे में मुख्यमंत्री उनके निजी स्टाफ व संबंधित अपर मुख्य सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि एससी व एसटी उपयोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2013 में एससीएसपी टीएसपी धनावंटन उपयोग अधिनियम बना था, जिसके तहत उपयोजना में पारदर्शिता लाने के लिए नियम व पूरी प्रक्रिया निर्धारित की गई।

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इसके अनुसार जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता वाली अनुश्रवण कमेटी बनाई गई। जिला स्तर पर स्वीकृत होने वाले 50 लाख रुपये तक की योजनाओं का ग्राम सभा की खुली बैठक में चयन किया जाता है।
इस बात का प्रमाण लगाया जाएगा कि उक्त योजना 30 फीसद एससी या एसटी आबादी वाले क्षेत्र के लिए बनाई गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने इस कानून व नियम-कायदों को ठेंगा दिखाते हुए अपने निजी स्टाफ को योजनाओं की सूची बनाने का काम दे दिया।
विभागीय अधिकारियों ने इसे कानून व नियमों के विरुद्ध तो बताया, मगर मुख्यमंत्री के निर्देश का हवाला देते हुए योजनाओं के चयन को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि रूल्स ऑफ बिजनेस-1975 के तहत बनाए गए अनुदेशों में मंत्रियों व सचिवों के बीच कार्य विभाजन किया गया है।

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मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ से योजनाओं का चयन करा इन अनुदेशों का भी खुला उल्लंघन किया गया। सचिवालय के उच्च अधिकारियों द्वारा पत्रावली में स्पष्ट लिखा गया कि इनमें से अधिकतर योजनाएं 30 फीसद आबादी की शर्त पूरी नहीं करती, मगर मुख्यमंत्री के निर्देश के आधार पर योजनाएं स्वीकृत करने की बात भी लिखी गई।
उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं में 71 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का मामला है, जिसमें मुख्यमंत्री उनके निजी स्टाफ व संबंधित अपर मुख्य सचिव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

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