दुकानें खाली कराने की मुनादी के बाद प्रशासन ने खींचे कदम

प्रेमनगर के अतिक्रमण पर टास्क फोर्स के कदम एक बार फिर ठिठक गए। नाटकीय ढंग से पहले प्रशासन ने सोमवार शाम को दुकानें खाली करने की मुनादी कराई और रात होते-होते यह निर्णय भी बदल दिया गया। विधिक राय के बाद ही आगे की कार्रवाई करने की योजना बनाई है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 11:49 AM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2020 11:49 AM (IST)
दुकानें खाली कराने की मुनादी के बाद प्रशासन ने खींचे कदम
प्रेमनगर के अतिक्रमण पर टास्क फोर्स के कदम एक बार फिर ठिठक गए।

देहरादून, जेएनएन। प्रेमनगर के अतिक्रमण पर टास्क फोर्स के कदम एक बार फिर ठिठक गए। नाटकीय ढंग से पहले प्रशासन ने सोमवार शाम को दुकानें खाली करने की मुनादी कराई और रात होते-होते यह निर्णय भी बदल दिया गया। अब इस मामले में विधिक राय के बाद ही आगे की कार्रवाई करने की योजना बनाई गई है।

हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में चलाया गया टास्क फोर्स का अतिक्रमण हटाओ अभियान पहले ही दिन प्रेमनगर में ठप्प हो गया था। प्रेमनगर के व्यापारियों को दुकानें खाली करने के लिए दो दिन का समय दिया गया था। इस अवधि की समाप्ति के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई और इस बीच कुछ व्यापारी हाईकोर्ट चले गए। बताया गया कि तीन व्यापारियों को कोर्ट से स्टे भी मिल गया।

इस बीच टास्क फोर्स के अंतर्गत प्रशासन की टीम ने दून के विभिन्न क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाया और प्रेमनगर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। माना जा रहा था कि अभियान पर यहीं विराम लगाते हुए मौजूदा कार्रवाई की रिपोर्ट शासन-प्रशासन को सौंप दी गई। हालांकि, इसके बाद सोमवार शाम को उपजिलाधिकारी सदर गोपाल राम बिनवाल अचानक प्रेमनगर पहुंच गए। उन्होंने वाहन से मुनादी की कि कोर्ट के स्टे वाली तीन दुकानों को छोड़कर शेष व्यापारी (जिन्होंने अतिक्रमण किया) मंगलवार दोपहर तक दुकानें खाली कर दें। इसके बाद प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटा देगी। इस मुनादी के बाद खलबली मची और विधायकों के माध्यम से शासन व सरकार तक भी बात पहुंची। फिर अचानक यू-टर्न लिया गया कि मंगलवार को कोई अतिक्रमण हटाओ अभियान प्रेमनगर में नहीं चलाया जाएगा। यह स्थिति तब रही जब प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए टीम भी गठित कर दी थी और पुलिस फोर्स का बंदोबस्त भी लगभग फाइनल हो गया था। 

जिलाधिकारी (देहरादून) डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि प्रेमनगर में तीन दुकानों को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है, जबकि कुछ के मामले में कोर्ट ने काउंटर एफिडेविट फाइल करने को कहा है। ऐसे में विधिक राय लेना उचित समझा गया कि इस तरह की कार्यवाही के बीच अतिक्रमण हटाया जा सकता है या नहीं। विधिक राय प्राप्त होने के बाद उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।

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