आचार्य बालकृष्ण बोले, यज्ञ से होता है हवा में मौजूद वायरस का शमन
आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि हवा को शुद्ध करने और इसमें मौजूद बैक्टीरिया या वायरस को खत्म करने के लिए यज्ञ से बढ़कर कोई विधि नहीं है।
देहरादून, जेएनएन। हवा को शुद्ध करने और इसमें मौजूद बैक्टीरिया या वायरस को खत्म करने के लिए यज्ञ से बढ़कर कोई विधि नहीं है। एक जगह अग्निहोत्र होने से कई किमी तक वातावरण स्वच्छ हो जाता है। इससे जहां अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं, वहीं हानिकारक बैक्टीरिया का शमन होता है। आयुर्वेद और शास्त्रों में भी इसका वर्णन है। साथ ही इस पर कई रिसर्च भी हो चुके हैं। आचार्य बालकृष्ण ने ये बात हरिद्वार में कही।
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्रचलन में है। साथ ही देश में सृष्टि के आरंभ से वायु, जल, वातावरण, पर्यावरण, मन, बुद्धि, आत्मा आदि की शुद्धि समेत रोग निवारण के लिए अग्निहोत्र या देवयज्ञ करने का विधान है। वैदिक मान्यता है कि हर शिक्षित गृहस्थ को अपने परिवार में सुबह-शाम अग्निहोत्र या देवयज्ञ अवश्य करना चाहिए। इससे बाह्य और आंतरिक शुद्धि समेत वायु, जल, वातावरण और शरीर के भीतर के अनेक हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु और जीवाणुओं का नाश होता है। जिस जगह अग्निहोत्र होता है, उसके कई किमी तक का वातावरण स्वच्छ हो जाता है।
कोरोना वायरस के परिप्रेक्ष्य में आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि हवा से भी इसके फैलने की बात कही जा रही है। इस तरह के रोगों से बचाव को आम की लकड़ी ही नहीं, नीम की निमोली, पत्ते, छाल आदि भी हवन सामग्री के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। आम की लकड़ी जलाने पर इससे निकलने वाला धुआं हानिकारक बैक्टीरिया व जीवाणु को नष्ट करता है। तैलीय पदार्थ तिल, सूरजमुखी, नीम और बावची (बाकुची) के तेल की आहुति हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस का शमन करती है।
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