Uttarakhand Lockdown: देहरादून में 66 हजार तक पहुंचा सामुदायिक निगरानी का दायरा

कोरोना संक्रमण लोकल ट्रांसमिशन के फेज दो में पहुंचे दून को तीसरे चरण में जाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन निरंतर सामुदायिक निगरानी का दायरा बढ़ाता जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 10 Apr 2020 02:05 PM (IST) Updated:Fri, 10 Apr 2020 02:05 PM (IST)
Uttarakhand Lockdown: देहरादून में 66 हजार तक पहुंचा सामुदायिक निगरानी का दायरा
Uttarakhand Lockdown: देहरादून में 66 हजार तक पहुंचा सामुदायिक निगरानी का दायरा

देहरादून, जेएनएन। कोरोना संक्रमण लोकल ट्रांसमिशन के फेज दो में पहुंचे दून को तीसरे चरण में जाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन निरंतर सामुदायिक निगरानी (कम्युनिटी) का दायरा बढ़ाता जा रहा है। प्रशासन की तरफ से जारी नए आंकड़ों में अब 66 हजार 281 लोगों की निगरानी की जाएगी। ये वह लोग हैं, जो भगत सिंह कॉलोनी, कारगी ग्रांट, लक्खीबाग, केशवपुरी व झबरावाला बस्ती के दो किमी के दायरे में रहते हैं। इन सभी लोगों की एक-एक कर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एकत्र की जा रही है। ताकि किसी में भी कोरोना जैसे लक्षण पाए जाने पर उसे चिकित्सीय निगरानी में भी लाया जा सके।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि जमातियों में कोरोना संक्रमण पाए जाने के बाद उनके संपर्क में आए चार लोगों के भी पॉजिटिव पाए जाने पर अधिक एहतियात की जरूरत पैदा हो गई है। कोरोना संक्रमण के लिहाज से अति संवेदनशील बन चुकी भगत सिंह कॉलोनी, कारगी ग्रांट, लक्खीबाग, केशवपुरी व झबरावाला में सघन निगरानी की आवश्यकता है। इस स्थिति को देखते हुए इन क्षेत्रों में 69 शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। शिक्षक इन इलाकों में घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करेंगे।

मोबाइल एटीएम से निकाली नकदी

पंजाब नेशनल बैंक की एटीएम सेवा बीते रोज सुबह 11 बजे डोईवाला की केशवपुरी बस्ती पहुंची। वहां लोगों ने शारीरिक दूरी का अनुपालन कर कैश निकाला। आज मोबाइल एटीएम सेवा मुस्लिम कॉलोनी और भगत सिंह कॉलोनी गई। दोनों जगह दो-दो घंटे यह सेवा दी गई।

कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद देहरादून में भगत सिंह कॉलोनी, कारगी ग्रांट, लक्खीबाग मुस्लिम, डोईवाला की केशवपुरी बस्ती और झबरावाला इलाके को सील कर दिया है। यहां लोगों की आवाजाही पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन क्षेत्रों में नकदी की किल्लत न हो, इसके लिए जिलाधिकारी ने एटीएम मोबाइल सेवा से यहां लोगों को नकदी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

जिला लीड बैंक मैनेजर संजय भाटिया ने बताया कि मोबाइल एटीएम सेवा डोईवाला की केशवपुरी बस्ती में थी। जहां कुछ लोगों ने ही कैश निकाला। हालांकि, मोबाइल एटीएम सेवा में करीब छह लाख कैश लोड था। उन्होंने बताया कि सील हुई कॉलोनियों से कैश निकालने की डिमांड तो आ रही है, लेकिन लोग उस हिसाब से कैश निकाल नहीं रहे हैं।

सील की गई कॉलोनियों में बढ़ी गर्भवती महिलाओं की परेशानी

कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद सील किए गए इलाकों में गर्भवतियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन्हें भी संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। ऐसी छह महिलाओं को दून महिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। कोरोना की जांच के लिए भी उनका सैंपल लिया गया है। गर्भावस्था हर महिला के लिए नाजुक समय है। ऐसे में वह मानसिक रूप से परेशान न हों, इसके लिए चिकित्सक उनकी नियमित काउंसिलिंग कर रहे हैं।

बता दें, जनपद देहरादून में अब तक कोरोना के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। ऐसे में यहां भगत सिंह कॉलोनी, कारगी ग्रांट सहित कई अन्य इलाके सील कर दिए गए हैं। संभावित खतरे की आशंका में यहां रहने वाली एक बड़ी आबादी संदिग्ध की श्रेणी में आ गयी है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं के लिए है। दून महिला अस्पताल में इस वक्त छह गर्भवती महिलाएं भर्ती हैं, जिनकी डिलीवरी होनी है। ये भगतसिंह कॉलोनी, लक्खीबाग, लोअर राजीवनगर आदि इलाकों की रहने वाली हैं। डिप्टी एमएस डॉ. मनोज शर्मा कहते है कि गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे इलाके में रहने वाली गर्भवतियों की डिलीवरी के दौरान कोरोना जांच जरूरी है। इसीलिए उन्हें आइसोलेशन में रखकर बेहतर उपचार दिया जा रहा है। उनकी नियमित काउंसिलिंग की जा रही है। डिलीवरी हो जाने व रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा।

मरीज को अस्पताल ले जाने से न रोकें: डीजी

लॉकडाउन की वजह से मरीज को अस्पताल पहुंचने या किसी की मौत होने पर शवयात्र को परेशान करने की शिकायतों को पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने सभी जनपदों के पुलिस अधिकारियों को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि मरीज को लेकर जाने वाले वाहनों को न रोका जाए। लेकिन इसकी पड़ताल भी होनी चाहिए। ताकि कोई इस सुविधा का दुरुपयोग न कर सके।

डीजी एलओ ने कहा कि ऐसे मामलों से पुलिस की छवि धूमिल होगी और लोगों के बीच नकारात्मक संदेश जाएगा। लिहाजा, छूट खत्म होने के बाद भी अगर कोई बीमार अस्पताल को जा रहा है या फिर कोई अपने परिजन की बॉडी को पैतृक स्थान पर ले जाना चाहता है तो विनम्रता से पेश आकर उन्हें जाने दिया जाए। 

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जनपद के पुलिस अधिकारियों और दोनों रेंज के डीआइजी को भेजे पत्र में डीजी अशोक कुमार ने कहा कि कई लोगों ने शिकायत की थी कि अस्पताल और घर से डेड बॉडी मूल निवास ले जाने पर पुलिस अनावश्यक रोक रही है। इसके अलावा कैंसर, हृदय रोग के अलावा अन्य गंभीर शारीरिक समस्याओं के जूझ रहे मरीज को अस्पताल ले जाने पर परिवार वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देरी की वजह से अगर किसी मरीज की रास्ते में मौत हो गई तो अप्रत्यक्ष तौर पर पुलिस भी जिम्मेदार हो सकती है।

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