दून में अवैध निर्माण की संख्या 28 हजार, बैध कराने को मात्र 414 आवेदन
दून में एमडीडीए ने अवैध निर्माण पर करीब 28 हजार लोगों के चालान किए हैं। इतनी बड़ी संख्या में चालान लंबित होना बताता है कि लोग कंपाउंडिंग का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
देहरादून, सुमन सेमवाल। अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने की एमडीडीए और शासन की मंशा ठीक थी। साफ था कि लोगों के मन से अवैध निर्माण की प्रवृत्ति दूर की जाए, ताकि कंपाउंडिंग की नौबत न पड़े। इसके लिए जनवरी 2019 में प्लॉट एरिया के हिसाब से कंपाउंडिंग शुल्क हटाकर उसे सर्किल रेट (पांच से 15 फीसद) से जोड़ दिया गया। हालांकि, नए कंपाउंडिंग शुल्क इतने अधिक बढ़ गए कि लोगों ने कंपाउंडिंग से तौबा करना शुरू कर दिया। इससे अवैध निर्माण की गति पर कुछ खास अंकुश नहीं लगा, मगर लोगों की रुचि अवैध निर्माण को वैध करने में कम होने लगी। इसका असर एमडीडीए को मिलने वाले राजस्व पर भी पड़ रहा है।
दून में एमडीडीए ने अवैध निर्माण पर करीब 28 हजार लोगों के चालान किए हैं। चालान का निस्तारण तब होता है, जब या तो उसका शुल्क जमा करा दिया जाए या निर्माण को सील कर दिया जाए। इतनी बड़ी संख्या में चालान लंबित होना बताता है कि लोग कंपाउंडिंग का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
शून्य से 60 वर्गमीटर के प्लॉट एरिया पर ही कंपाउंडिंग शुल्क की बात करें तो पहले यह राशि 1000 रुपये थी। अब सर्किल रेट का पांच फीसद शुल्क लगने पर यह 60 हजार रुपये हो गया है। इसको लेकर उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा, सचिव रुचि शर्मा व कोषाध्यक्ष जीएल अरोड़ा ने एमडीडीए उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान को ज्ञापन भी दिया है। उनकी मांग है कि पूर्व की भांति कंपाउं¨डग शुल्क वसूल किया जाए।
भवन की कंपाउंडिंग पर करीब चार गुना तक भार
जीएमएस रोड का उदाहरण लेते हैं, जहां का सर्किल रेट 16 हजार रुपये है। मार्ग की चौड़ाई के हिसाब से यह राशि 16.5 हजार रुपये बैठती है। यदि इस पर 168 वर्गमीटर के आवासीय भवन की कंपाउंडिंग कराई जाए तो नक्शा पास कराने वाले व्यक्ति को 15.99 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
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पूर्व की व्यवस्था के तहत यह शुल्क महज 3.78 लाख रुपये था। यदि इसी क्षेत्र में 250 वर्गमीटर के कमर्शियल भवन का कंपाउंडिंग शुल्क 79.49 लाख रुपये खर्च आएगा। पूर्व में यह राशि 17.54 लाख रुपये आती थी।
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