वैज्ञानिकों ने बताई मशरूम उत्पादन की दिक्कतें

जागरण संवाददाता, विकासनगर: कालसी ब्लॉक के ग्राम तूनिया व हरिपुर में ट्राईबल सब प्लान अंतर्गत मशरूम उ

By Edited By: Publish:Mon, 30 Mar 2015 08:50 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 08:50 PM (IST)
वैज्ञानिकों ने बताई मशरूम उत्पादन की दिक्कतें

जागरण संवाददाता, विकासनगर: कालसी ब्लॉक के ग्राम तूनिया व हरिपुर में ट्राईबल सब प्लान अंतर्गत मशरूम उत्पादन पर कृषक व वैज्ञानिक संवाद आयोजित किया गया। पंतनगर विवि के मशरूम उत्पादन व प्रशिक्षण केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. केपीएस कुशवाहा ने मशरूम का सूखना, कीट समस्या, मशरूम के पीलेपन की समस्या का हल किसानों को बताया।

डॉ. कुशवाहा ने कहा कि मशरूम की ¨ढगरी, ओएस्टर प्रजातियां यहां ज्यादा चलन में है। इससे पोषक तत्व प्रोटीन, खनिज लवण, वसा, कार्बोहाइड्रेट की प्राप्ति होती है। मशरूम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे उन कृषि अवशेषों पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, जिसमें लिग्निन व सेल्युलोज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जैसे धान का पुवाल, गेहूं का भूसा, मक्के का तना, गन्ने की पत्ती, सोयाबीन का भूसा आदि। डॉ. कुशवाहा ने किसानों को मशरूम उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक व किसानों को मशरूम उत्पादन में आने वाली दिक्कतों के बारे में भी जानकारी दी। रोशन मोर्या ने मशरूम, विपणन व बाजार उपलब्धता आदि के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर तूनिया के रूपराम चौहान, धनीराम, हंसराम चौहान, मायाराम, भोटो देवी, हरिपुर के प्रताप शर्मा, लक्ष्मी देवी, चक्को देवी, वीरो देवी, बबीता शर्मा आदि मौजूद रहे।

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