भोजन के लिए चाहिए 5वीं में फिर से दाखिला

चंपावत जिले के खेत गांव निवासी एक व्‍यक्ति ने प्राथमिक पाठशाला के प्रधानाध्यापक से गुहार लगाई कि उसकी बेटी को पांचवीं में दोबारा प्रवेश दिला दें, ताकि उसे मिड-डे मील मिलता रहे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 24 Apr 2017 09:09 AM (IST) Updated:Tue, 25 Apr 2017 05:04 AM (IST)
भोजन के लिए चाहिए 5वीं में फिर से दाखिला
भोजन के लिए चाहिए 5वीं में फिर से दाखिला

चंपावत, [चंद्रशेखर द्विवेदी]: भारत-नेपाल सीमा पर चंपावत जिले का अंतिम गांव है खेत। यहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों को सड़क से 25 किमी की दूरी पैदल नापनी पड़ती है। इसी गांव में रहते हैं राजमिस्त्री सोबन सिंह व गोविंदी देवी। उनकी पुत्री भावना ने गांव के प्राथमिक विद्यालय से इस बार पांचवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 

लेकिन, बदहाली के चलते सोबन सिंह उसे आगे पढ़ाना तो दूर, परिवार के लिए खाने का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे। इसी लाचारी में उन्होंने प्राथमिक पाठशाला के प्रधानाध्यापक से गुहार लगाई है कि भावना को पांचवीं में दोबारा प्रवेश दिला दें। ताकि उसे मिड-डे मील का खाना तो मिलता रहे।

पहाड़ के दूरस्थ गांवों में बदहाली का क्या आलम है, इसका उदाहरण है खेत गांव के सोबन सिंह का परिवार। वह मकान बनाने का काम करते हैं, लेकिन इससे परिवार की गुजर बामुश्किल ही हो पाती है। यही वजह है कि वह अपनी लाडली भावना को छठवीं कक्षा में प्रवेश नहीं दिला पा रहे। क्योंकि, आगे की पढ़ाई के लिए उसे 27 किमी दूर टनकपुर या 50 किमी दूर चम्पावत भेजना पड़ेगा।

सोबन सिंह बेटी को पढ़ाना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि उनके बच्चे भूखे न रहें। इसलिए उन्होंने प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्ण सिंह को पत्र लिखकर गुजारिश की है कि भावना को दोबारा पांचवीं में ही प्रवेश दिला दें। इससे कम से कम उसे खाना तो मिलता रहेगा। भावना के दो भाई भी हैं।

भावना की मां गोविंदी देवी कहती हैं कि जैसे-तैसे परिवार की गुजर हो रही है। बेटी को बाहर भेजने पर शिक्षा तो निश्शुल्क मिल जाएगी, लेकिन उसके  रहने-खाने का खर्च उठाना उनके बूते में नहीं। ऐसे में भावना को यहीं दोबारा पांचवीं कक्षा में प्रवेश मिल जाए तो वह पढ़ती भी रहेगी और दोपहर का खाना भी मिल जाएगा। 

जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक सत्यनारायण ने बताया कि किसी भी छात्र-छात्रा को दोबारा उसी कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। वह आर्थिक आधार पर भी ऐसा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इस मामले में उच्चाधिकारियों से सलाह कर कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी।

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