लाखों के सचल चिकित्सा वाहन हो गए कबाड़

संवाद सहयोगी, चम्पावत : जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 04:33 PM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 06:17 PM (IST)
लाखों के सचल चिकित्सा वाहन हो गए कबाड़
लाखों के सचल चिकित्सा वाहन हो गए कबाड़

संवाद सहयोगी, चम्पावत : जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय सम विकास, आरोग्य व जैन वीडियो ऑन व्हीकल वाहन सेवा शुरू की गई थी। जो आज देख रेख व मेंटेनेंस के अभाव में ये वाहन जंक खाकर कबाड़ बनते जा रहे हैं। लाखों रुपये के ये सचल चिकित्सा वाहन किसी समय में ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों के लिए संजीवनी बूटी का कार्य करते थे।

राष्ट्रीय सम विकास, आरोग्य व जैन वीडियो ऑन व्हीकल वाहन सेवा पर लंबे समय से ब्रेक लगा हुआ है। लाखों रुपए मूल्य के सचल चिकित्सा वाहनों में वर्षो से मरीजों का इलाज नहीं हुआ है। कारण कांटट्रेक्ट समाप्त होने के बाद इन वाहनों की सेवा को सुचारू रखने का किसी ने भी नहीं सोचा। आज मेंटेनेंस के अभाव में 31.50 लाख रुपए की चलित शल्य चिकित्सालय एवं परीक्षण वाहन या मोबाइल वैन में ब्रेक लगे आठ साल हो चुके हैं। तब से इसमें एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ। नवम्बर 2010 से अस्पताल परिसर के एक कोने में दुबकी इस वैन पर जंक लग चुकी है। इस वैन से हर साल 72 कैंप लगाए जाने थे। मगर एक वर्ष में 72 तो दूर, साल 2006 से शुरू इस मोबाइल अस्पताल से सिर्फ 39 कैंप लग सके। ऐसे ही ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सालय विहीन क्षेत्रों में मरीजों के इलाज के लिए जैन वीडियो ऑन व्हीकल वाहन सेवा का वर्ष 2009 में शुभारंभ हुआ था। लेकिन इसमें भी अप्रैल 2016 में ब्रेक लग गया। इस सचल चिकित्सालय से तल्लादेश, गुमदेश, लधिया घाटी, अमोड़ी सहित 15 ग्रामीण इलाकों में कैंप लगाए जाते थे। इसी प्रकार आरोग्य सेवा भी बंद पड़ी है। जिले की तीनों सचल चिकित्सा सेवा धनाभाव, रखरखाव के अन्य कारण बंद पड़ी हैं और जंक खराब हो रही हैं। जांचों की भी सुविधा थी सचल वाहन में

जैन वीडियो ऑन व्हीकल वाहन एक चलता फिरता अस्पताल था। जिसमें तीन डॉक्टर, लैब तकनीशियन, फार्मेसिस्ट, नर्स सहित कुल दस कार्मिक मरीजों की एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और खून की जाच कर इलाज करते थे और बीपीएल मरीजों को निश्शुल्क दवाएं दी जाती थी। जांचों के लिए आना पड़ता है जिला मुख्यालय

सचल चिकित्सालय बंद होने से ग्रामीणों को मिल रही राहत भी बंद हो गई। जिसके बाद से दूर दराज के ग्रामीणों को एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व खून की जांच के लिए जिला मुख्यालय को आना पड़ता है। वर्जन -

सचल चिकित्सा वाहनों को दस साल से अधिक समय हो गया है तथा इनके मेंटेनेंस में एक करोड़ से अधिक का खर्च आ रहा है। जिस कारण अब इनके निष्प्रयोजन की कार्रवाई चल रही है। - डॉ. आरपी खंडूरी, सीएमओ चम्पावत।

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