खेती के लिए बारिश पर निर्भरता होगी कम

संवाद सहयोगी, चम्पावत : कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभाग सिंचाई साधनों को बढ़ावा दे रहा है। पाटी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Mar 2017 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 30 Mar 2017 01:00 AM (IST)
खेती के लिए बारिश पर निर्भरता होगी कम
खेती के लिए बारिश पर निर्भरता होगी कम

संवाद सहयोगी, चम्पावत : कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभाग सिंचाई साधनों को बढ़ावा दे रहा है। पाटी व चम्पावत ब्लाक में 59 सिंचाई टैंक बनाए गए है साथ ही चाल-खाल बनाए जा रहे है। इन ब्लाकों के 121.25 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिंचाई की व्यवस्था कर दी गई है।

जिले में कुल 31971 किसान खेतीबाड़ी से जुड़े हुए हैं। समय पर बारिश न होने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू होने के बाद क्षेत्र में सिंचाई क साधन भी बढ़ने लगे है। अब किसानों की बारिश के पानी पर निर्भरता कम होगी। पूर्व में इंट्रीग्रेटेड वाटर शेड मैनेजमेंट प्रोग्राम एवं जलागम विकास योजना से जिले के 26624 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल में से 3022 हे. सिंचित क्षेत्र था। 2015-16 में पीएमकेएसवाई के बाद इसमें 121.25 हेक्टेयर कृषि सिंचित क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई।

जैविक कृषि को बढ़ावा

चम्पावत: मुख्य कृषि अधिकारी आरएन चंद्रवाल ने बताया कि परंपरागत कृषि जैविक विकास योजना में 25 कलस्टर बनाए गए हैं। किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। साथ ही कृषि उपकरणों का वितरण किया जा रहा है। किसानों से मडुवे का परंपरागत बीज खरीद कर फिर उन्हीं को 75 प्रतिशत अनुदान पर दिया गया। जिले में 6716 किसानों को 200 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से 11.92 लाख रुपये का बोनस दिया गया। बाराकोट, पाटी, चम्पावत के तामली, मंच स्वाला क्षेत्र में जैविक मडुवे का उत्पादन किया जा रहा है। जैविक खाद बनाने के लिए किसानों को ड्रम मुहैया कराए गए हैं।

ड्रिप सिंचाई के तहत छेड़ापानी, बिशुंग, रौसाल, घिंगराण, बाजरीकोट में 34.32 हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ा है। चाल-खालों से जल संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी कई जगहों पर छोटे सिंचाई टैंक बनाए जाने हैं। इससे सिंचित कृषि उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।

= आरएल चंद्रवाल, मुख्य कृषि अधिकारी, चम्पावत।

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