शिक्षक के संकल्प ने बदली प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर

हरीश बिष्ट, गोपेश्वर समाज के विकास में शिक्षा एवं शिक्षक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जात

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Sep 2018 11:58 PM (IST) Updated:Tue, 04 Sep 2018 11:58 PM (IST)
शिक्षक के संकल्प ने बदली प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर
शिक्षक के संकल्प ने बदली प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर

हरीश बिष्ट, गोपेश्वर

समाज के विकास में शिक्षा एवं शिक्षक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। बीते एक दशक से अपनी इसी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं निजमूला घाटी के प्राथमिक विद्यालय मानुरा के शिक्षक विक्रम ¨सह ¨झक्वाण। कभी इस घाटी के लोग सरकारी शिक्षा से विमुख होकर यहां से पलायन करने लगे थे। मगर, विक्रम ¨सह की तैनाती के बाद अपने पाल्यों को निजी विद्यालयों में दाखिला दिलवा चुके अभिभावक भी वापस उन्हें इस विद्यालय में भेज रहे हैं। यही वजह है कि इस वर्ष विक्रम ¨सह का चयन गवर्नर्स अवार्ड के लिए हुआ है।

चमोली जिले के इस विद्यालय तक पहुंचने के लिए बिरही से ब्यारा गांव तक सड़क मार्ग है। यहां से दो किमी की चढ़ाई पैदल नापकर प्राथमिक विद्यालय मानुरा पहुंचा जा सकता है। एक दशक पूर्व तक इस विद्यालय की दशा भी बेहद खराब थी और अभिभावक अपने पाल्यों को यहां से हटाकर उनका निजी स्कूलों में दाखिला करवा रहे थे। वर्ष 2009 में शिक्षक विक्रम ¨सह ¨झक्वाण की तैनाती इस विद्यालय में हुई। उन्होंने यहां की अव्यवस्थाएं देखी तो हतप्रभ रह गए। तब उन्होंने संकल्प लिया कि विद्यालय की तस्वीर बदल कर रहेंगे।

मूलरूप से चमोली जिले के मंडल गांव निवासी इस शिक्षक की मेहनत रंग लाई और नौ साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने विद्यालय का कायाकल्प कर डाला। नतीजा, जो अभिभावक दुर्गम में स्थित इस विद्यालय से अपने पाल्यों को हटा चुका थे, वे दोबारा उन्हें यहां दाखिला दिला रहे हैं। फिलहाल विद्यालय में 30 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

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दिनचर्या का हिस्सा है अनुशासन

गुणवत्तापरक शिक्षा हो या स्वच्छता या फिर हरियाली, मध्याह्न भोजन योजना, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियां, हर मामले में यह विद्यालय जिले के नामीगिरामी निजी विद्यालयों से काफी आगे है। अनुशासन इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। जिससे वह अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

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लेते हैं सबका सहयोग

शिक्षक विक्रम सिंह बताते हैं कि विद्यालय की दशा सुधारने के लिए वह अपने वेतन का कुछ हिस्सा नियमित रूप से खर्च करते हैं। साथ ही समाज के जागरूक लोगों व विभिन्न संस्थाओं से भी सहयोग लेते हैं। छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी उनका खुलकर साथ देते हैं।

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