सदन में गूंजा हल्द्वानी आइएसबीटी का मुद्दा, कांग्रेस ने हंगामा काटा

गुरुवार को सदन शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में बनने वाले आइएसबीटी का निर्माण कार्य रोकने और इसके स्थान परिवर्तन करने के मामले को सदन में उठाया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 23 Mar 2018 09:59 AM (IST) Updated:Fri, 23 Mar 2018 11:13 AM (IST)
सदन में गूंजा हल्द्वानी आइएसबीटी का मुद्दा, कांग्रेस ने हंगामा काटा
सदन में गूंजा हल्द्वानी आइएसबीटी का मुद्दा, कांग्रेस ने हंगामा काटा

गैरसैंण, [राज्य ब्यूरो]: हल्द्वानी में अंतर्राष्ट्रीय बस टर्मिनल बनाने के लिए पूर्व में तय स्थान को परिवर्तित करने के सरकार के कदम पर कांग्रेस ने जमकर हंगामा काटा। सरकार ने मामले पर स्थित स्पष्ट करने के साथ ही इस मामले के कोर्ट में होने का हवाला देते हुए टिप्पणी से इन्कार कर दिया। हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस कंपनी को इस कार्य का टेंडर दिया गया था, उसके तय शर्तों का अनुपालन न करने के कारण टेंडर निरस्त कर दिया गया है।

गुरुवार को सदन शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में बनने वाले आइएसबीटी का निर्माण कार्य रोकने और इसके स्थान परिवर्तन करने के मामले को सदन में उठाया और नियम 310 पर चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मामले को नियम 58 की ग्राहृयता पर सुनने की अनुमति दी गई। इस पर चर्चा करते हुए नेता प्रतितपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि हल्द्वानी मेंआइएसबीटी स्वीकृत किया गया था और इसका निर्माण कार्य शुरू भी हो गया था लेकिन सरकार ने अचानक ही इस कार्य को रोक दिया।

अब इसकी जगह बदली जा रही है। जहां नया आइएसबीटी बनाना प्रस्तावित किया गया है वहां वनभूमि है। यह बस अड्डा केवल हल्द्वानी नहीं बल्कि पूरे कुमाऊं मंडल की जरूरत है। इस पर सरकार को अपनी स्थित स्पष्ट करनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा इससे पूरे कुमाऊं मंडल में बस संचालन में दिक्कत आ रही है।

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि बस टर्मिनल बनाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इस मामले में कोई राजनीति नहीं की जा रही है। जहां तक निर्माण कार्य की बात है तो जिस कंपनी को यह टेंडर मिला, उसने बिना डीपीआर स्वीकृत कराए निर्माण कार्य शुरू कर दिया। अनुबंध की शर्तों का भी इसमें उल्लंघन हुआ है। अब यह मामला कोर्ट में है इसलिए इस पर अधिक चर्चा नहीं की जा सकती।

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में बदलाव संभव

आमजन को सस्ती व पारदर्शी स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए बने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर सदन में विपक्ष और सरकार के सुर एक नजर आए। कांग्रेस की ओर से क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में बदलाव की मांग पर सरकार ने भी हामी भरी है। सरकार का कहना है कि इसमें यथोचित संशोधन पर निर्णय लिया जाएगा। गुरुवार को सदन में उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा ने नियम 58 पर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मसला उठाया। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और कांग्रेसी विधायक काजी निजामुद्दीन ने भी इसका समर्थन किया। सरकार की ओर से जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि इस एक्ट को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए संपूर्ण भारत में लागू किया गया है। हालांकि सरकार आइएमए के सुझाव और अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन कर रही है। इसके संशोधन पर यथोचित निर्णय ले लिया जाएगा।

कैबिनट में आएगा उपनल कर्मियों के भुगतान का मुद्दा

उपनल कर्मियों के भुगतान का मुद्दा जल्द कैबिनेट में लाया जाएगा। सरकार इन्हें समाजिक सुरक्षा मुहैया कराने की दिशा में मंथन कर रही है। गुरुवार को सदन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने नियम 58 के तहत इस मसले पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश में 21 हजार उपनल कर्मी कार्यरत हैं। पूर्व में सरकार द्वारा इनके मानदेय वृद्धि, इनको संविदा पर रखने व इनको न हटाने का निर्णय लिया था। लंबे समय से इनके वेतन वृद्धि और संविदा का मसला लंबित है। सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि समय समय पर इनके मानदेय में संशोधन होता है। इनकी वेतन वृद्धि के संबंध में सरकार गंभीर है और जल्द ही मंत्रीमंडल के समक्ष इस मसले को रखा जाएगा। उपनल कर्मियों को संविदा पर रखने का विषय उच्च न्यायालय में लंबित है। सरकार उच्च न्यायालय के जो भी निर्देश मिलेंगे उसका अनुपालन किया जाएगा।

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