अठ्वाड़ मेले में इस बार नहीं हुई बलि

By Edited By: Publish:Fri, 29 Aug 2014 05:42 PM (IST) Updated:Fri, 29 Aug 2014 05:42 PM (IST)
अठ्वाड़ मेले में इस  बार नहीं हुई बलि

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: देश के आखिरी गांव माणा में आयोजित तीन दिवसीय अठ्वाड़ मेला पूजा-अर्चना व ब्रह्मभोज के साथ संपन्न हो गया है। इस धार्मिक आयोजन के समापन अवसर पर बदरीनाथ की यात्रा पर आए विदेशी तीर्थयात्रियों ने भी माणा पहुंचकर घंटाकर्ण देवता के पूजा कार्यक्रम में शिरकत की। समापन अवसर पर श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की कीर्तन मंडली की ओर से भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया गया। अब यह मेला 12 वर्ष बाद आयोजित होगा।

माणा गांव के घंटाकर्ण मंदिर में प्रत्येक 12 वर्ष में अठ्वाड़ मेले का आयोजन होता है। परंपरा के अनुसार इस मेले में आठ बकरों की बलि का प्रावधान है, लेकिन इस बार ग्रामीणों ने एक राय बनाकर बकरों की बलि की जगह हलवा प्रसाद व नारियल, श्रीफल चढ़ाकर घंटाकर्ण देवता की सात्विक पूजा करने का निर्णय लिया था। तीन दिन तक घंटाकर्ण मंदिर में अठ्वाड़ मेले का आयोजन किया गया। मेले में भगवान घंटाकर्ण की दिन-रात की पूजा अर्चना पश्वा गंगा सिंह बिष्ट ने की। इस आयोजन में माणा के अलावा बदरीनाथ के स्थानीय लोगों व देश विदेश के यात्रियों ने भी भगवान घंटाकर्ण देवता की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद मांगा। शुक्रवार को ब्रह्मभोजन के साथ अठ्वाड़ मेले का समापन किया गया। समापन अवसर पर श्री बदरीनाथ मंदिर समिति की कीर्तन मंडली ने भजन कीर्तन का आयोजन किया। इस अवसर पर माणा के प्रधान पंकज बड़वाल, पूर्व प्रधान राम सिंह कंडारी, लक्ष्मण रावत, अनिल बिष्ट, कलावती देवी, गायत्री मोलफा समेत कई लोग शामिल थे।

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