बागेश्वर में कोरोना क‌र्फ्यू के चलते नहीं हो रही काफल की आमद

रसीले खट्टे-मीठे स्वाद से भरपूर काफल का स्वाद कोरोना क‌र्फ्यू के चलते बागेश्वर शहर के लोग नहीं ले सकेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 04:06 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 04:06 PM (IST)
बागेश्वर में कोरोना क‌र्फ्यू के चलते नहीं हो रही काफल की आमद
बागेश्वर में कोरोना क‌र्फ्यू के चलते नहीं हो रही काफल की आमद

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : रसीले, खट्टे-मीठे स्वाद से भरपूर काफल का स्वाद कोरोना क‌र्फ्यू के चलते बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा है। बैशाख में पकने वाले काफल से स्थानीय ग्रामीणों की आíथकी भी जुड़ी हुई है। लेकिन इस बार शायद ही शहरों के लोग इस फल का स्वाद ले सकेंगे। तराई क्षेत्र में गर्मी शुरू होते ही पर्यटकों का रुख पहाड़ की ओर हुआ करता था। सैलानी यहां पहाड़ की हवा और रसीले काफल का स्वाद लिया करते थे। चार सौ रुपये प्रति किलो तक काफल बिकता था। इस बार कोरोना क‌र्फ्यू ने स्थानीय लोगों को झटका दिया है। लोग कोरोना संक्रमण के बचाव और रोकथाम के लिए लागू क‌र्फ्यू के कारण घरों तक सिमट गए हैं। सीरी नरगोल निवासी चंद्रशेखर, डोबा निवासी कमला देवी ने कहा कि वे काफल बेचकर दस से बीस हजार रुपये तक कमाई करते थे। पिछले साल लॉकडाउन और अब कोरोना क‌र्फ्यू के कारण बाजार तक नहीं आ रहे हैं। जंगलों में आग लगने से भी काफल खराब हुआ है। ---------- मेरिका एस्कुलाटा वानस्पतिक नाम

वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता राजीव निगम ने बताया कि काफल का वानस्पतिक नाम मेरिका एस्कुलाटा है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। गर्मी के मौसम में काफल के पेड़ पर अति स्वादिष्ट फल लगता है, जो देखने में शहतूत की तरह होता है। 1300 से 2100 मीटर (4000 से 6000 फीट) तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। यह स्वाद में खट्टा-मीठा मिश्रण लिए होता है। ---------- काफल के फायदे -एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। -इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है। -पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं। -मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है -तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिस तथा फेफड़े संबंधी बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।

chat bot
आपका साथी