फूल की खेती में रोजगार तलाश रहे जीवन

अगर मन में चाह हो तो राह अपने आप ही बन जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जीवन ने।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 11:12 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 06:13 AM (IST)
फूल की खेती में रोजगार तलाश रहे जीवन
फूल की खेती में रोजगार तलाश रहे जीवन

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: अगर मन में चाह हो तो राह अपने आप ही बन जाती है। ऐसा ही कुछ करने की सोच रहे हैं सामा निवासी जीवन सिंह कोरंगा, जो कोरोना-कोविड 19 संक्रमण के बाद अपने मूल गांव लौट आए। जहां वह अब फूलों की खेती कर रहे हैं। पहली बार में ही वह इस कार्य से काफी संतुष्ट दिखाई दिए और इस कार्य को आगे बढ़ाना चाहते है।

कोरोना-कोविड 19 संक्रमण के बाद बीते 25 फरवरी को जीवन सिंह कोरंगा पुत्र मान सिंह कोरंगा निवासी सामा, कपकोट अपने गांव लौट आए। वह 2015 में गांव छोड़कर गए थे। जीवन गुरुग्राम में होटल उद्योग में काम करते थे। यहां पर पहले से ही उनके पिताजी मान सिंह व अन्य परिजन फूलों की खेती और सब्जी आदि का काम खेतों में करते थे। उन्होंने भी लॉकडाउन के दौरान परिवार वालों के साथ इस कार्य में हाथ बंटाया। तीन एकड़ जमीन में ओरियंट व ऐशियाटिक वैराइटी के फूल रोपित किए थे। जैसे-जैसे खेतों में फूल बढ़ने लगे तो जीवन भी इस काम को लेकर उत्साहित दिखाई दिए। उन्होंने फिर इन फूलों की खेती के लिए विशेषज्ञों से भी बातचीत की। इसकी संभावनाओं को भी तलाश करना शुरु किया। इन दो माह के दौरान फूल भी बड़े हो गए। अब जीवन ने ठान लिया की वह गांव में रुककर ही फूलों की खेती करेंगे।

अब वह पूरी तरह मन बना चुके है। ओरियंट वैराइटी के लीलियम फूलों की बाजार में काफी डिमांड है। वह इन दिनों इसे बाजार में खुद बेच रहे है। एक फूल का 20 से 30 रुपया तक मिल रहा है। लॉकडाउन के कारण छाई मंदी से उनको कुछ दिक्कतों का सामना जरुर करना पड़ रहा हैं।

----खेतीबाड़ी का काम जो लॉकडाउन के दौरान समझा उसने आंखें खोल दी। वह वह अपने गांव में रहकर ही रोजगार करेंगे। वह अन्य युवाओं को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।

जीवन सिंह कोरंगा, काश्तकार

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