जंगली सूअरों ने की खेतीबाड़ी चौपट, काश्तकार त्रस्त

संवाद सहयोगी चौखुटिया पहाड़ में किसानों की कृषि आय दोगुनी करने के नाम पर खूब ढिढ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 11:04 PM (IST) Updated:Thu, 28 Mar 2019 06:34 AM (IST)
जंगली सूअरों ने की खेतीबाड़ी चौपट, काश्तकार त्रस्त
जंगली सूअरों ने की खेतीबाड़ी चौपट, काश्तकार त्रस्त

संवाद सहयोगी, चौखुटिया: पहाड़ में किसानों की कृषि आय दोगुनी करने के नाम पर खूब ढिढ़ोरा तो पीटा जा रहा है, लेकिन सरकार खेती को जंगली जानवरों से बचाने की दिशा में कोई ठोस नीति नहीं बना सकी है। नतीजा जंगली जानवरों ने खेतीबाड़ी चौपट कर दी है। ऐसे में फसल व साग सब्जी की बर्बादी को देख काश्तकार अंदर ही अंदर आंसू के घूंट पीने को विवश हैं तथा गांवों से पलायन करने के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

पहाड़ के गांवों में बीते कई वर्षो से दिन में बंदर तो रात में जंगली सूअरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि सूअरों ने स्थान स्थान पर फसल ही नहीं साग सब्जी उत्पादन भी चौपट कर दिया है। इस बीच गेवाड़ घाटी में खेतों में गेहूं की फसल लहलहरा रही है, लेकिन दिन में बंदर तो कहीं रात में सूअरों ने खेतीबाड़ी बर्बाद कर दी है। हालात को देखते हुए कहीं कहीं तो लोगों ने किसानी ही छोड़ दी है।

यहां चांदीखेत के ग्रामीण बैराठ में आलू की खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन दिन सूअरों ने आलू के खेत खोद-खोदकर तहस नहस कर दिए हैं। आनंद कुमयां, किशन सिंह, हेमलता, हीरा सिंह, गिरीश गोस्वामी व नंदन सिंह आदि काश्तकारों के आलू के खेत सूअरों ने नष्ट कर दिए हैं। इससे उन्हें भारी नुकसान पहुंचा है तथा काश्तकारों के लिए सब्जी उत्पादन चुनौती बनते जा रहा है।

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अपने जीवन यापन के लिए चांदीखेत गांव के लोग सब्जी उत्पादन करते हैं। जो पूरे वर्ष भर कड़ी मेहनत कर पसीना बहाते हैं, लेकिन जब फसल तैयार होती है तो जंगली जानवर पल भर में फसल चौपट कर दे रहे हैं। इससे वे खासे चिंतित हो उठे हैं।

-दान सिंह कुमयां प्रधान चांदीखेत

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