अल्मोड़ा में मतदाताओं की चुप्पी ने मुकाबले को बनाया रोमांचक, ये है अहम चुनावी मुद्दे; बेरोजगारी का मुद्दा सबसे हावी
सुदूर गांव में रह रहे मतदाता तक प्रत्याशी पहुंच ही नहीं पाए हैं। संसदीय क्षेत्र का 60 फीसद से अधिक हिस्सा इन्होंने छुआ ही नहीं। परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने होने से मतदाताओं में ना तो उत्साह है ना ही कोई रुचि। मोदी लहर भी प्रभावी नहीं दिखती। मतदाता पूरी तरह साइलेंट है। वह प्रत्याशियों की बातों को ध्यान से सुन रहा है।
चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा। चुनाव प्रचार खत्म हो गया है। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर अब पूरा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच सिमटकर रह गया है। भाजपा के अजय टम्टा और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा संसदीय चुनावों में चौथी बार आमने-सामने हैं। दोनों दलों के प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने मुद्दों को जनता तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत की।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इन राष्ट्रीय दलों का प्रचार जिला, ब्लाक मुख्यालय व सड़क के किनारे नगर व कस्बों तक सिमटकर रह गया। सुदूर गांव में रह रहे मतदाता तक प्रत्याशी पहुंच ही नहीं पाए हैं। संसदीय क्षेत्र का 60 फीसद से अधिक हिस्सा इन्होंने छुआ ही नहीं।
परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने होने से मतदाताओं में ना तो उत्साह है ना ही कोई रुचि। मोदी लहर भी प्रभावी नहीं दिखती। मतदाता पूरी तरह साइलेंट है। वह प्रत्याशियों की बातों को ध्यान से सुन रहा है। लेकिन कह कुछ नहीं रहा है। मतदाताओं की चुप्पी ने इस बार मुकाबले को रोमांचक कर दिया है।
चुनाव में प्रमुख पांच मुद्दे
महंगाई: अल्मोड़ा संसदीय सीट पर महंगाई का असर दिखाई दे रहा है। बेरोजगारी: बेरोजगारी की मार से पहाड़ का प्रत्येक घर त्रस्त है। इसलिए यह मुद्दा भी प्रभावी होकर उभर रहा है। स्वास्थ्य: स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत नहीं होने से लोग इसकी भी बात कर रहे है। पलायन: पहाड़ में पानी, सड़क, बदहाल शिक्षा व्यवस्था से लोग पलायन को मजबूर है। गांव में लोग इसको लेकर बात कर रहे हैं। जंगली जानवरों का आंतक: ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि को जंगली जानवरों से खासा नुकसान हुआ है। गांवों में यह एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।मतदाता
पुरुष- 684406
महिला- 654916
कुल- 1339327