टैक्सी संचालकों की हड़ताल, जनता परेशान

संवाद सहयोगी अल्मोड़ा कुमाऊं टैक्सी महासंघ के आह्वान पर बुधवार को अल्मोड़ा में भी टैक्सी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 12 Sep 2019 01:25 AM (IST) Updated:Thu, 12 Sep 2019 01:25 AM (IST)
टैक्सी संचालकों की हड़ताल, जनता परेशान
टैक्सी संचालकों की हड़ताल, जनता परेशान

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : कुमाऊं टैक्सी महासंघ के आह्वान पर बुधवार को अल्मोड़ा में भी टैक्सी संचालकों ने अपनी सेवाएं बंद रखी। टैक्सी संचालकों की हड़ताल के चलते जहां लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं टैक्सी संचालकों ने शासन से मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन की मांग की है।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बुधवार को सुबह से ही टैक्सी चालकों ने अपनी सेवाएं स्थगित कर दी। जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों को आने-जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हड़ताल के कारण दन्या, भनोली, पनुवानौला, जागेश्वर, आरतोला, जैंती, सोमेश्वर क्षेत्रों को आने जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने अपनी मांग को लेकर सभा भी की। सभा को संबोधित करते हुए टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष शैलेंद्र तिलारा ने कहा कि शासन द्वारा लागू किया गया मोटर व्हीकल एक्ट पूरी तरह तानाशाही पूर्ण है। बीस किमी की रफ्तार से चलने वाले वाहनों में सीट बेल्ट अनिवार्य कर दी गई है। जबकि टैक्स और फिटनेस की दरें भी काफी बढ़ा दी गई है। टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि इस एक्ट को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इधर टैक्सी संचालकों की हड़ताल के कारण यात्री दिन भर केमू और रोडवेज स्टेशनों के चक्कर काटते रहे। सबसे ज्यादा दिक्कत उन रूटों पर जाने वाले लोगों को हुई जहां आवागमन के लिए टैक्सियों के अलावा और कोई साधन नहीं थे। ऐसे स्थानों के अधिकांश लोग दिन भर नगर में वाहनों को तलाश करते रहे। टैक्सी संचालकों का कहना है कि जब तक इस एक्ट में संशोधन नहीं होगा तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। धरना सभा में नीरज पंवार, गणेश सिंह बिष्ट, गोपाल रावत, बालकिशन जोशी, अर्जुन सिंह, आनंद सिंह, अनूप साह, सुभाष मेहरोत्रा समेत अनेक टैक्सी स्वामी व चालक मौजूद रहे।

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ग्रामीण क्षेत्रों में भी यात्री परेशान

टैक्सी संचालकों की हड़ताल का सबसे अधिक असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में टैक्सी का संचालन ना होने के कारण लोगों को पैदल गंतव्य तक पहुंचना पड़ा। कई स्थानों पर रोजमर्रा के सामान की आपूíत भी नहीं हो पाई। जबकि अनेक स्थानों पर स्कूली बच्चे भी स्कूल तक नहीं पहुंच पाए।

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