सरकार ने पांच सौ से अधिक कन्याओं से मोड़ा मुंह

आíथक रूप से कमजोर किशोरियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के प्रति कोताही बरती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Feb 2020 11:06 PM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 11:06 PM (IST)
सरकार ने पांच सौ से अधिक कन्याओं से मोड़ा मुंह
सरकार ने पांच सौ से अधिक कन्याओं से मोड़ा मुंह

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : आíथक रूप से कमजोर किशोरियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और वयस्क होने पर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूर्व में शुरू की गई गौरा देवी कन्या धन योजना अपने उद्देश्य में नाकाम साबित हो रही है। हालत यह है कि सरकार ने पूर्व में इस योजना का लाभ लेने वाली जिले की पांच सौ से अधिक कन्याओं से मुंह फेर लिया है। नई नीति नहीं बन पाने से उन्हें नई नंदा देवी गौरा कन्या धन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों में शिक्षा के प्रति जागरूकता का अभाव और उनकी आत्मनिर्भरता को देखते 2016 में गौरा देवी कन्या धन योजना की शुरुआत की गई थी। योजना का उद्देश्य शिक्षा और आत्मनिर्भरता के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या व बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को रोकना व लड़कों और लड़कियों के लिगानुपात में सुधार लाना भी था। इसके तहत गरीब और आíथक रूप से कमजोर कन्याओं को पचास हजार रुपये की मदद देने का प्रावधान था। योजना शुरू होने के बाद विभाग को 3140 आवेदन प्राप्त हुए थे। 2017 में योजना का बाल विकास विभाग में विलय होने के बाद पूर्व में पंजीकृत इन कन्याओं में से करीब पांच सौ को लाभ नहीं मिल पाया। इस कारण आज भी वे संबंधित विभागों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

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इन्सेट पैकेज योजना तो सौंपी, बजट का संकट बरकरार

अल्मोड़ा : 2017 में बाल विकास विभाग में विलय कर शुरू की गई नंदा गौरा कन्याधन योजना में भी बजट के संकट के चलते पात्र कन्याओं को इसका लाभ नहीं मिल सका। योजना के विलय के बाद उसी साल विभाग को इस योजना के लाभ के लिए 6607 आवेदन मिले। इनमें से इस वर्ष महज 511 कन्याओं को ही नई योजना का लाभ मिल सका। जबकि वर्तमान में आवेदन कहीं बढ़ गए हैं।

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योजना के दौरान जो अधूरे आवेदन मिले थे, उन्हें वापस भेजा गया था। जबकि 95 प्रतिशत लाभार्थी कन्याओं को इसका लाभ दिया गया। अगले बजट के इंतजार के दौरान ही योजना का बाल विकास विभाग में विलय कर दिया गया। ऐसे में संबंधित विभाग ही नई योजना के तहत आगे की कार्रवाई कर पाएगा।

-राजीव नयन तिवारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, अल्मोड़ा

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