पंचायत घर को तरस रहीं जिले की 198 ग्राम पंचायतें

डीके जोशी अल्मोड़ा पंचायती राज अधिनियम को लागू हुए चार दशक से भी अधिक का समय व्यतीत हा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 03:00 AM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2019 06:16 AM (IST)
पंचायत घर को तरस रहीं जिले की 198 ग्राम पंचायतें
पंचायत घर को तरस रहीं जिले की 198 ग्राम पंचायतें

डीके जोशी , अल्मोड़ा: पंचायती राज अधिनियम को लागू हुए चार दशक से भी अधिक का समय व्यतीत हो चुका है, लेकिन अब तक पंचायतें मजबूत नहीं हो सकी हैं। इसके चलते इन ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को ग्राम से संबंधित विकास योजनाएं बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पृथक उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही आती-जाती सरकारें ग्राम पंचायतों में पंचायत घर बनाने की घोषणा करती रही, मगर अब तक अकेले अल्मोड़ा जिले में ही 1160 में से 198 ग्राम पंचायतों को छत ही नसीब नहीं है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, इसलिए सर्वप्रथम गांवों के लिए जरूरी संसाधन जुटाकर ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास किया जाना आवश्यक है। उनका मानना था कि देश का विकास गांवों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर ही होगा। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में 73 वां पंचायती राज संशोधन विधेयक पारित किया गया जिसमें जिसमें पंचायतों को मजबूत किए जाने की बात कही गई है, लेकिन कोई सुध ही नहीं ली जा रही है। ऐतिहासिक जिले में हालत यह है कि आज भी कई पंचायतें संसाधनविहीन हैं। 11 विकास खंडों से आच्छादित अल्मोड़ा जिले में 198 ग्राम पंचायतों में पंचायत घर नहीं होने से जहां जनप्रतिधिनिधियों को अपने -अपने ग्राम पंचायतों की विकास योजनाएं बनाने में दिक्कतें हो रही हैं। भवन विहीन इन पंचायतों के जनप्रतिधिनियों को बरसात व अत्यधिक गर्मी व शीतकाल में ठिठुरन भरी ठंड के मौसम में बैठकें करने में काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो तिथियां तय करने के बाद भी बैठक स्थगित करनी पड़ती हैं। ऐसे में सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाएं ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाती हैं। अल्मोड़ा जिले के जिन 962 ग्राम पंचायतों में पंचायत घर हैं भी उनकी भी स्थिति ठीक-ठाक नहीं है। कई ग्राम पंचायतों के भवन जीर्ण-क्षीर्ण हालात में जा पहुंचे हैैं। देश की ग्राम पंचायतों को जहां ब्रॉड बैंड कनेक्टिीविटी से जोड़ने की बात हो रही है, वहीं जिले की 30 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में बेसिक फोन तक नहीं है।

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गांवों के समुचित विकास से ही विकास खंड, तहसील, जिला, मंडल, राज्य और फिर देश का विकास संभव हैं। गांवों के बेहतर विकास के लिए वहां के ग्राम पंचायतों में पंचायत घरों का होना बेहद जरूरी है। ग्रामीणों को आशा थी की पृथक उत्तराखंड राज्य गठन के बाद ग्राम पंचायतों में पंचायत घरों का निर्माण शीघ्रता से होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। राज्य सरकार को पंचायत घर निर्माण के लिए कारगर उपाय किए जाने चाहिए।

-ईश्वर दत्त जोशी, संयोजक, उत्तराखंड संसाधन पंचायत

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शासन व विभाग पंचायतों की मजबूती के लिए लगातार प्रयासरत है। जिले की जिन पंचायतों में अब तक भवन नहीं है, इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शासन व पंचायती राज निदेशालय को भेजे गए हैं। विभिन्न विकास खंड स्थित पंचायत भवनों के जीर्ण-क्षीर्ण भवनों के जीर्णोद्धार के लिए भी प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।

- बीएस दुग्ताल, जिला पंचायत राज अधिकारी, अल्मोड़ा

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