रोग मिला ऐसा, जिसका इलाज नहीं

अल्मोड़ा : मा-बाप ने जन्म तो दिया लेकिन कई बसंत बीत जाने के बाद भी दो मासूमों ने उनकी शक्ल नहीं देखी।

By Edited By: Publish:Mon, 30 Mar 2015 11:01 PM (IST) Updated:Tue, 31 Mar 2015 05:08 AM (IST)
रोग मिला ऐसा, जिसका इलाज नहीं

अल्मोड़ा : मा-बाप ने जन्म तो दिया लेकिन कई बसंत बीत जाने के बाद भी दो मासूमों ने उनकी शक्ल नहीं देखी। जन्म के बाद से दिमागी बीमारी लग गई और आज तक दुनिया के रहम करम पर पल रही हैं दो मासूम जिंदगियां, लेकिन अब जन्म से मिली बीमारी का उपचार तक नहीं मिल पा रहा है।

कुछ ऐसी ही कहानी है राजकीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान से अल्मोड़ा के राजकीय बाल शिशु गृह अल्मोड़ा लाई गई दस वर्षीय आशिया और चौदह वर्षीय गुड़िया की। एक ओर जहां कन्याओं के संरक्षण की बात जोर शोर से की जा रही है। वहीं इन दोनों कन्याओं को मां बांप ने जन्म देकर छोड़ दिया। बचपन से उम्र अनाथालयों में कट रही है। बचपन से दोनों मानसिक रोग से पीड़ित है। आशिया मानसिक रोग से पीड़ित होने के साथ-साथ पांव में परेशानी होने के कारण इधर-उधर चल नहीं पाती। जबकि मासूम गुड़िया के मुंह से मां के अलावा कोई शब्द नहीं निकलते। शिशु सदन में रह रहे अन्य बच्चों से भी उनका कोई वास्ता नहीं। गुड़िया जब देखो शिशु सदन के गेट पर आकर खड़ी हो जाती है। जिस कारण शिशु सदन के कर्मचारियों को उसकी सुरक्षा का पूरा पूरा ख्याल रखना पड़ रहा है। शिशु सदन की अधीक्षिका देवकी टम्टा कहती हैं कि दोनों को देखकर सभी कर्मचारियों का दिल भर आता है। लेकिन उपचार का कोई साधन न होने के कारण उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।

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जिलाधिकारी से मिले समिति के सदस्य

अल्मोड़ा : देहरादून से अल्मोड़ा लायी गयी दो मानसिक रोग से पीड़ित किशोरियों के इजाज की कोई व्यवस्था न होने पर बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने डीएम से उन्हें कहीं अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की है। बाल कल्याण समिति के भगवती प्रसाद पांडे, हेम लता भट्ट और मनोज सनवाल ने डीएम से कहा है कि शिशु बाल गृह में इन किशोरियों के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में या तो उनके उपचार की कोई व्यवस्था की जाए या फिर उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाए।

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