कोरोना काल की भेंट चढ़ा चुनावी वर्ष, वाराणसी में बरसात और बाढ़ के दौरान श्रमिकों को रोजगार मिले
कोरोना के कारण सब कुछ बेपटरी है। वरना अब तक त्रिस्तरीय चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई होती। माहौल अलग होता। दिसंबर तक कुर्सी का फैसला हो जाता।
वाराणसी [विकास ओझा]। कोरोना के कारण सब कुछ बेपटरी है। वरना, अब तक त्रिस्तरीय चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई होती। माहौल अलग होता। दिसंबर तक कुर्सी का फैसला हो जाता। सरकार ने भी इसे बखूबी समझा। इसलिए, पंचायतों को फिजा बनाने की छूट न देकर ठोस काम कराने पर बल दिया है, ताकि कोरोना काल में बरसात व बाढ़ के दौरान श्रमिकों को रोजगार मिले। घरों में चूल्हे जल सकें। अब घर-घर शौचालय निर्माण के बाद सरकार ने गांवों में सर्वाधिक राशि इस वर्ष सामुदायिक शौचालय व पंचायत भवन के निर्माण पर खर्च करने को ठानी है।
जिले को 15वें वित्त आयोग में 21 करोड़ से अधिकधनराशि श्प्राप्त हुई है। श्रमिकों का भुगतान मनरेगा से होगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। पंचायतें स्थल चयन कर सर्वप्रथम स्थानीय स्तर पर आगणन तैयार करेंगी। इसके बाद अनुमति लेनी होगी। सबसे कार्ययोजना मांगी है। शासन ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सबसे पहले यह कार्य होगा, फिर आपरेशन कायाकल्प की दिशा में कदम बढ़ेंगे। पंचायत राज निदेशक किंजल सिंह की ओर से इस आशय का आदेश जिला मुख्यालय को मिल चुका है।
हर सामुदायिक शौचालय पर पांच लाख खर्च
जिले की 699 पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण होगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत में बनने वाले एक पंचायत भवन के निर्माण पर लगभग पांच लाख खर्च होंगे। 81 हजार के करीब मजदूरी पर व्यय होगा। हालांकि जिले में चालीस फीसद से अधिक पंचायत भवन होने के कारण 60 फीसद का ही निर्माण करना होगा।
हजारों मनरेगा श्रमिकों के हाथ में होगा काम
लॉकडाउन के दौरान बाहर से लौटकर आए हजारों श्रमिकों को गांव में काम मिलने की उम्मीद है। शासन का निर्देश भी है कि काम देने में कोताही न बरती जाए। मनरेगा में कच्चा कार्य होना संभव नहीं है। इसलिए पंचायत भवन संग सामुदायिक शौचालय निर्माण में इनकी भागीदारी हो सकेगी। एक सामुदायिक शौचालय निर्माण पर 81 हजार रुपये मजदूरी पर खर्च होंगे।
चुनावी वर्ष में दिखावे पर लगेगा अंकुश
पंचायत चुनाव की कोई तिथि तय नहीं है लेकिन नियमत: दिसबंर तक नए पंचायतों का गठन हो जाना चाहिए। ऐसे में यह पूरा साल चुनावी वर्ष है। सरकार की ओर से 15 वें वित्त आयोग का पैसा सामुदायिक शौचालय व पंचायत पर खर्च करने की प्राथमिकता देने के कारण इस बार गांव में सरकारी भवनों की रंगाई-पोताई, देखरेख आदि पर राशि नहीं खर्च की जा सकेगी। आपेरशन कायाकल्प के तहत सरकारी स्कूल, पंचायत भवन, तालाब आदि की बाउंड्री आदि का मेटेनेंस भी नहीं होगा। पंचायत इन्हीं कार्यों पर पैसा खर्च कर चुनावी फिजा बनाने की कोशिश करती है। अबकी ऐसा कुछ भी नहीं हो सकेगा। क्योंकि प्रमुखता के मुख्य कार्य होने के बाद ही अन्य कार्य को प्राथमिकता मिलेगी।