कैमूर अभ्यारण क्षेत्र से विलुप्त हो रहे वन्य जीव, बिहार क्षेत्र में मिलतें हैं तेंदुआ और काले हिरन
हलिया क्षेत्र अभ्यारण क्षेत्र के लिए जाना जाता है। यहां पर मिलने वाले काले हिरन पूरे देश में नहीं मिलते हैं। इसलिए इसका नाम अभ्यारण सेंचुरी क्षेत्र रख्रा गया है। इसके अलावा इस जंगल में करीब डेढ़ सौ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं।
मीरजापुर, जागरण संवाददाता। कैमूर वन्य जीव बिहार क्षेत्र में पाए जाने वाले जंगली जानवर विलुप्त हो जा रहे हैं। इनके संरक्षण का कोई इंतजाम न होने से आए दिन इनकी संख्या में कमी देखने को मिल रही है। कुछ जीव तो विलुप्त हो चुके हैं। कुछ साल ऐसे ही चलता रहा तो तेंदुआ, काले हिरन आदि जानवरों के लिए मशहूर यह अभ्यारण क्षेत्र वीरान हो जाएगा। सन 1965 तक इस जंगल में शेर पाए जाते थे, लेकिन तेजी से पेड़ों की कटान के चलते ये शेर मध्य प्रदेश की ओर पलायन कर गए।
जनपद का हलिया क्षेत्र अभ्यारण क्षेत्र के लिए जाना जाता है। यहां पर मिलने वाले काले हिरन पूरे देश में नहीं मिलते हैं। इसलिए इसका नाम अभ्यारण सेंचुरी क्षेत्र रख्रा गया है। इसके अलावा इस जंगल में करीब डेढ़ सौ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं। हालांकि जनपद का पूरा वन क्षेत्र 94 हेक्टेयर से अधिक हैं, लेकिन करीब 25 हजार हेक्टेयर में फैले कैमूर वन्य जीव बिहार का जंगली क्षेत्रफल काफी घना है। यह मध्य प्रदेश, प्रयागराज, सोनभद्र व चंदौली जनपद से सटा हुआ है, लेकिन पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र में अवैध खनन व वनों की हो रही अंधाधुंध कटाई के चलते जंगल वीरान हो रहे हैं। इसके अलावा आए दिन काले हिरन व गुलदार (तेंदुआ) जैसे जानवरों का शिकार किया जा रहा है। इससे इनकी संख्या में कमी आ रही है।
साथ ही इनके संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं किए जाने से ये जानवर दूसरे प्रांत का रूख कर ले रहे हैं। कैमूर वन जीव बिहार के हलिया क्षेत्र में काले हिरन, तेंदुआ के अलावा भालू, चिंकारा, लकड़हारा आदि जानवर भी इस क्षेत्र में मिलते हैं। हालांकि वन विभाग ने इनके संरक्षण करने के लिए कदम उठाने की बात बोल रहा है,लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। इससे इनके शिकार पर लगाम लग सके।
2019 की गणना में कितने रह गए हैं जंगली जानवर
कौन - जानवर कितने
-गुलदार - 15
- काला हिरन - 624
-चिंकारा - 63
- सांभर - 81
-चीतल - 177
- लोमड़ी - 92
- नील गाय - 1088
- भालू - 52
- जंगली सुअर - 444
- लंगूर - 1057
- मगरमच्छ - 55
-लकड़बग्घा - 19
- सियार - 248
- मोर - 311
- सेही - 75
- गोह - 119
ये हो चुके विलुप्त
-चौसिंघा -00
- भेड़िया - 00
बोले अधिकारी : वन्य जीव की संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जानवरों को खाने के लिए चारागाह है, उनकी देखरेख के लिए जगह -जगह वाच टावर लगाए गए हैं। पानी आदि के लिए चेकडैम व वाटर होल है। -संतोष जायसवाल, डीएफओ कैमूर वन्य जीव बिहार।