रेलवे में आधुनिकीकरण : अब ट्रेनों की रफ्तार में नहीं लगेगा पानी का ब्रेक, बजट जारी

गर्मियों में पानी की मुश्किल ट्रेनों की राह में रोड़े नहीं अटकाएगी। रेलवे बोर्ड ने देश के 66 स्टेशनों को क्विक वाटरिंग सिस्टम से विकसित करने का निर्णय लिया है।

By Edited By: Publish:Sun, 07 Apr 2019 11:00 AM (IST) Updated:Sun, 07 Apr 2019 11:00 AM (IST)
रेलवे में आधुनिकीकरण : अब ट्रेनों की रफ्तार में नहीं लगेगा पानी का ब्रेक, बजट जारी
रेलवे में आधुनिकीकरण : अब ट्रेनों की रफ्तार में नहीं लगेगा पानी का ब्रेक, बजट जारी

वाराणसी [राकेश श्रीवास्‍तव]। गर्मियों में पानी की मुश्किल ट्रेनों की राह में रोड़े नहीं अटकाएगी। रेलवे बोर्ड ने देश के 66 स्टेशनों पर क्विक वाटरिंग सिस्टम विकसित करने का निर्णय लिया है। 15 जोन में योजना को जमीन पर उतारने को 2.30 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है। उप निदेशक (रेलवे बोर्ड) मनीष तिवारी ने इसी गर्मी में योजना को जमीन पर उतारने का आदेश दिया है।

क्या है क्विक वाटरिंग सिस्टम : ट्रेनों में पानी भरने का यह सिस्टम पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत होगा। टंकी में पानी भरने को बूस्टर पंप लगाए जाएंगे। बूस्टर पंप एक मिनट में 200 लीटर पानी भरेगा। समझिए छह मिनट में 1800 लीटर की टंकी फुल हो जाएगी। पुरानी व्यवस्था में 40 से 50 लीटर पानी प्रति मिनट एक कोच की टंकी में भर पाता था।

वाराणसी-लखनऊ, पीडीडीयू जंक्शन को भी मिलेगा लाभ : क्विक वाटरिंग सिस्टम डेवलप करने की योजना का लाभ नार्दन रेल के वाराणसी, लखनऊ, नई दिल्ली, लुधियाना, मुरादाबाद, निजामुद्दीन एवं पूर्व मध्य रेल के पीडीडीयू जंक्शन, पटना, बरौनी, धनबाद, मुजफ्फरपुर स्टेशन को मिलेगा।

नहीं होगा हंगामा, रफ्तार से मंजिल पर पहुंचेंगी ट्रेनें : गर्मियों में पानी की समस्या यात्रियों के सिर चढ़कर बोलती है। गुस्साए यात्री ट्रेनों को चेन पुलिंग कर खड़ी कर देते हैं। ऐसे में रेल प्रशासन के सामने कानून-व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाता है।

रेलवे बूंद-बूंद पानी का रखेगा हिसाब : नई व्यवस्था में पानी उसी प्लेटफार्म का खुलेगा जहां जरूरत होगी। मसलन, प्लेटफार्म नंबर एक-दो पर ट्रेन आई तो इसके इतर सारे पाइप लाइन सूखे होंगे। कंप्यूटर आधारित होने के कारण ट्रेन की टंकी फुल होते ही जलापूर्ति अपने आप बंद हो जाएगी। पुरानी व्यवस्था रेलवे वाल्व मैन पानी खोलता तो सभी प्लेटफार्मो की पाइप लाइन में पानी पहुंचने से फ्लो कम हो जाता था।

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