भूगर्भ जल दोहन रोकने को जल नीति जरूरी, घरों में मीटर लगाने का होगा काम

भूगर्भ का जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। समुद्र या अन्य स्रोत के पानी हैं जिसे पीने में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इस तीन फीसद पानी का दोहन ज्यादा हो रहा है।

By Edited By: Publish:Tue, 23 Jul 2019 01:48 AM (IST) Updated:Tue, 23 Jul 2019 08:23 PM (IST)
भूगर्भ जल दोहन रोकने को जल नीति जरूरी, घरों में मीटर लगाने का होगा काम
भूगर्भ जल दोहन रोकने को जल नीति जरूरी, घरों में मीटर लगाने का होगा काम

वाराणसी, जेएनएन। जिस प्रकार आपके शरीर की संरचना है उसी प्रकार धरती की है। शरीर में 70 फीसद पानी होता है उसी प्रकार धरती पर भी 70 फीसद पानी है लेकिन सोचने की बात यह है कि इस 70 फीसद पानी में महज तीन फीसद हिस्सा ही ऐसा है जो पीने योग्य है। शेष समुद्र या अन्य स्रोत के पानी हैं जिसे पीने में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इस तीन फीसद पानी का दोहन ज्यादा हो रहा है। इस कारण यह तेजी से घट रहा है। जागरण विमर्श में इस बार 'जल संरक्षण को प्रभावी कैसे बनाएं' विषय पर अपनी बात रखने के लिए सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जलकल महाप्रबंधक नीरज गौड़ और जलकल सचिव रघुवेंद्र कुमार मौजूद थे।

अधिकारी द्वय ने कहा कि वर्तमान में पानी तेजी से खत्म हो रहा है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने आम जनता समेत जिम्मेदार विभागों से जल संरक्षण को लेकर अपील की है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है। लेकिन जल नीति के अभाव में पानी के दोहन पर अंकुश नहीं लग रहा है। यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगी कि शहरीकरण ने ज्यादा नुकसान किया है। बिजली चालित यंत्रों ने मनमाना पानी का दोहन हो रहा है। मसलन, यदि आपको आधा लीटर पानी की जरूरत है तो बिजली चालित यंत्रों से दो लीटर पानी दोहन कर बर्बाद कर दिया जाता है। ऐसे ही शौचालय में भी हम अधिक पानी का दुरुपयोग कर रहे हैं। शासन को भेजा प्रस्ताव :- पानी दोहन रोकने के लिए जलकल विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है जिसमें निजी बो¨रग पर अंकुश लगाने की मांग की है क्योंकि हैंडपंप व कुओं से जो पानी का उपयोग होता है वह जरूरत के हिसाब से ही निकाला जाता है। यदि प्रस्ताव को हरी झंडी मिली तो बो¨रग कराने के लिए पंजीयन कराना होगा।

यह टैक्स के दायरे में भी आएगा। जल संरक्षण का बिगड़ा औसत :- सर्वे के मुताबिक गांवों के खेत-खलियान व कुंड-तालाब बारिश के पानी से करीब आठ से 10 फीसद पानी जमीन के अंदर संरक्षित कर देते हैं। इतना ही पानी हैंडपंप व कुओं से इस्तेमाल किया जाता है लेकिन जब से बिजली चालित यंत्रों का उपयोग हो रहा है तब से हम ज्यादा दोहन कर रहे हैं। ऐसे में जल संरक्षण का औसत बिगड़ गया है। 100 लीटर पानी दोहन के सापेक्ष महज 10 लीटर पानी की जमीन में संरक्षित कर पा रहे हैं। यह शहरीकरण का दुष्परिणाम है। वर्षा के जल संरक्षण पर जोर :- वर्षा का पानी बेहद शुद्ध होता है। इसे बचाने की जरूरत है। शहर में कुंड व तालाब के अलावा रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा। इसके लिए मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के अलावा छोटे घरों में भी कोशिश की जा सकती है। हां, इस दौरान ध्यान देना होगा कि जमीन के नीचे भेजने वाला पानी शुद्ध कर ही भेजा जाए क्योंकि जमीन के नीचे का पानी अशुद्ध हुआ तो बड़ी मुश्किल होगी। जमीन के नीचे पानी के दो स्तर हुए गंदे :- जमीन के नीचे पानी तीन स्तरों पर पाया जाता है। वर्तमान में पहला व दूसरा स्तर गंदा हो चुका है। पहले स्तर का पानी तो नहाने योग्य भी नहीं है जबकि दूसरे स्तर के पानी से स्नान कर सकते हैं लेकिन उसे पीने में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। तीसरे स्तर के पानी का इस्तेमाल हम पीने के लिए कर रहे हैं जिसका तेजी से दोहन हो रहा है। अत्यधिक दोहन से खतरा : मधुमक्खी के छत्ते की तरह जमीन के नीचे पानी की संरचना है। इसलिए जितना अधिक दोहन करेंगे और स्तर दर स्तर पानी खत्म होने लगेगा तो बड़े आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता। जमीन का बड़ा भाग धंस भी सकता है। चूंकि जमीन के नीचे जो पानी है वह बड़े दायरे में है। उदाहरण, बनारस में पानी जो है उसका जुड़ाव मीरजापुर, चंदौली आदि जिलों से भी हो सकता है। इसलिए जो पानी हम बर्बाद कर रहे हैं उसका दुष्प्रभाव मीरजापुर व चंदौली में भी पड़ सकता है। जलकल उठा रहा बड़ा कदम जलकल विभाग पानी दोहन को लेकर बड़ा कदम उठा रहा है। सतह के जल स्रोतों पर शहरी क्षेत्र में पानी आपूर्ति की योजना बनाई है। इस पर तेजी से काम हो रहा है। बनारस में गंगा आधारित पानी आपूर्ति योजना को गति दी गई है। जल्द ही योजना आकार लेगी तो नलकूप से भूजल दोहन बंद हो जाएगा। इसके अलावा घरों में मीटर लगाने का काम होगा। इससे लोग पानी बर्बाद करना बंद कर देंगे। बचाने के उपाय -नल खोलकर सेविंग व ब्रश न करें। इससे लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। आधा गिलास अभियान को चरितार्थ करें। खासकर सेमिनार आदि में। वाहनों को पेयजल से न धोएं। नालों के लीकेज को दूर करें। -बिजली चालित यंत्र से पानी का दोहन न करें। हैंडपंप व कूपों पर निर्भरता बढ़ाएं। 10 फीसद जल संचयन को बढ़ाकर 50 फीसद करने की दिशा में प्रयास करें। स्मार्ट सिटी में जल संचयन पर जोर है जिसके तहत घर व आफिस में उपाय कर सकते हैं।

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