सैनिटाइजर से बेहतर है साबुन-पानी से हाथ धोना, कोविड-19 मेडिकल प्रिवेंशन किट के वितरण एवं कोविड-19 जागरूकता कार्यक्रम

ऐसा नहीं मानें कि कोरोना का कहर कम हाे गया है। आपको अभी भी लगातार मास्क एवं स्वच्छता का ध्यान रखना पड़ेगा। सैनिटाइजर का प्रयोग वहीं करें जहां पानी व साबुन की व्यवस्था नहीं हो। वरना सैनिटाजर से अच्छा साबुन से से ही अच्छी तरह हाथ धाेना बेहतर होता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 23 May 2021 05:27 PM (IST) Updated:Sun, 23 May 2021 05:27 PM (IST)
सैनिटाइजर से बेहतर है साबुन-पानी से हाथ धोना, कोविड-19 मेडिकल प्रिवेंशन किट के वितरण एवं कोविड-19 जागरूकता कार्यक्रम
सैनिटाजर से अच्छा साबुन से से ही अच्छी तरह हाथ धाेना बेहतर होता है।

वाराणसी, जेएनएन। ऐसा नहीं मानें कि कोरोना का कहर कम हाे गया है। आपको अभी भी लगातार मास्क एवं स्वच्छता का ध्यान रखना पड़ेगा। सैनिटाइजर का प्रयोग वहीं करें जहां पानी व साबुन की व्यवस्था नहीं हो। वरना सैनिटाजर से अच्छा साबुन से ही अच्छी तरह हाथ धाेना बेहतर होता है। साबुन से कोरोना संक्रमण ही नहीं यहां तक की कुत्ते के काटने के बाद फैलने वाला रैबिज संक्रमण भी धुल जाता है। यह कहना है सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता का। वे रविवार को अस्पताल स्थित वैक्सीनेशन सेंटर के पास महामना मालवीय मिशन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय इकाई, राष्ट्रीय सेविका समिति काशी व चंद्र फाउंडेशन गोरखपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "कोविड-19 मेडिकल प्रिवेंशन किट के वितरण एवं कोविड-19 जागरूकता कार्यक्रम" में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

प्रो. गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र जहां बीमार वहीं उपचार को दोहराते हुए कहा कि अब सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता, उपचार एवं किट वितरण का आयोजित करने की जररूत है। ताकि लोगों का गांव में ही उपचार हो सके और बड़े अस्पतालों में बोझ नहीं बढ़ सके। तत्काल उपचार शुरू करने पर खराब स्थिति से भी बच सकते हैं।

कार्यक्रम के संयोजक एवं न्यूरोलॉजी विभाग, बीएचयू के डा. अभय कुमार सिंह ने बताया कि आशा, विश्वास और साहस, यह तीन मूल मंत्र कोविड-19 बीमारी के रोकथाम में लगे डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस व सिक्योरिटी से सीखना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 प्रीवेंशन किट की उपयोगिता को दर्शाया कि इस किट में सैनिटाइजर, मास्क, पानी की बोतल, बिस्किट और जिंक विटामिन डी, विटामिन सी की गोलियां हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं।

न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरएन चौरसिया ने बताया कि ब्लैक फंगस के फैलने का सबसे बड़ा कारण एक ही मास्क को बार-बार प्रयोग करना है। बताया कि एक मास्क को एक बार प्रयोग करके फेंक देना चाहिए और अगर ऐसा ना हो पाए तो मास्क को गर्म पानी और साबुन के घोल में साफ करके फिर से प्रयोग कर सकते हैं। अन्यथा उससे ब्लैक फंगस की बीमारी हो सकती है। इस मौके पर चंद्र फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय सेविका समिति की सदस्य डा. स्मिता सिंह, विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. वरुण सिंह, महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, महामंत्री विजय नाथ पांडेय, कृषि अर्थशास्त्र विभाग के  प्रो. राकेश सिंह, प्रो. सदानंद शाही, प्रो. सुमन जैन, प्रो. अमित पाठक आदि मौजूद थे।

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