रक्षा संपदा की 160 एकड़ जमीन का फिर केयर टेकर बना Varanasi नगर निगम, बकाया राशि की मांग रखी

रक्षा मंत्रालय प्रयागराज से मिले पत्र के अनुसार इस 160 एकड़ जमीन का प्रबंधन करने के लिए वाराणसी नगर निगम को फिर से केयर टेकर बनाया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 07:20 AM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 09:40 AM (IST)
रक्षा संपदा की 160 एकड़ जमीन का फिर केयर टेकर बना Varanasi नगर निगम, बकाया राशि की मांग रखी
रक्षा संपदा की 160 एकड़ जमीन का फिर केयर टेकर बना Varanasi नगर निगम, बकाया राशि की मांग रखी

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम प्रशासन व रक्षा संपदा के बीच कैंट स्टेशन के सामने परेड कोठी  समेत अन्य भूमि को लेकर उपजे विवाद पर अब विराम लग गया। रक्षा मंत्रालय प्रयागराज से  मिले पत्र के  अनुसार इस 160 एकड़ जमीन का प्रबंधन करने के लिए नगर निगम को फिर से केयर टेकर बनाया गया है। रक्षा संपदा ने अनुबंध के हिसाब से तय धनराशि के बकाये की मांग भी की है। रक्षा संपदा ने स्पष्ट किया है कि कुल जमीन का रकबा 172 एकड़ है। इसमें सड़क, ड्रेनेज आदि  विकास कार्य में 12 एकड़ जमीन का उपयोग हुआ है। इसके अलावा 160 एकड़ क्षेत्रफल आबादी है।

अंग्रेजों के जमाने का अनुबंध

वर्ष 1894 में ब्रिटिश सरकार के दौर में रक्षा संपदा व तत्कालीन नगर पालिका परिषद के बीच अनुबंध के अनुसार जमीन पर मालिकाना हक रक्षा संपदा का रहेगा लेकिन केयरटेकर के तौर पर नगर पालिका परिषद के पास प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। इस एवज में नगर पालिका जो कर वसूल करेगी, उसमे रक्षा संपदा को 1657 रुपये छह आना देना होगा। इसी आधार पर नगर पालिका ने वित्तीय वर्ष 1991-92 तक भुगतान किया।

नगर निगम बनने के बाद से बंद है भुगतान

इसके बाद नगर निगम बनने के बाद इस धनराशि का भुगतान बंद हो गया। वर्ष 2002 में नगर निगम ने संबंधित क्षेत्र के प्रबंधन की  जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ लिया लेकिन रक्षा संपदा ब्रिटिश सरकार  में हुए अनुबंध के आधार पर बकाये धनराशि की मांग करता रहा।

छावनी परिषद की बैठक में उठा मामला

इस बीच छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने कैंटोमेंट बोर्ड की बैठक  में 160 एकड़  के रहनवारों का मसला उठाया। रक्षा संपदा को जानकारी दी  कि इस इलाके में रहने वाले खुद को लावारिस समझ रहे हैं। नगर निगम कोई प्रबंधन नहीं कर रहा है जबकि रक्षा संपदा वहां के केयरटेकर के तौर पर नगर निगम को ही जिम्मेदार ठहराती है। मामला रक्षा मंत्रालय तक पहुंचा तो रक्षा मंत्रालय की एक  टीम  ने  मौका-मुआयना किया। पुराने नक्शे से मिलान कराया तो इलाके में बहुत से निर्माण हो चुके थे। ऐसे  में रक्षा संपदा ने वाराणसी विकास प्राधिकरण को 160 एकड़ के इलाके में किसी  प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने के साथ ही कोई अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया। इसके बाद रक्षा संपदा ने  इलाके की नए सिरे से  मापी कर  बोर्ड लगा दिया। फिर, कमिश्नर की अध्यक्षता  में रक्षा संपदा व नगर निगम प्रशासन के अफसरों  की बैठक हुई। वहीं, बाद में रक्षा संपदा प्रयागराज में भी यहां से तत्कालीन तहसीलदार विनय राय व मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके द्विवेदी ने जाकर बैठक की थी। उसमें तय हुआ  था कि रक्षा संपदा पुराने दर का पुर्नमूल्याकंन कर नया रेट जारी करेगा जिसके  आधार पर  नए सिरे से अनुबंधन में संशोधन किया जाएगा। फिलहाल, रक्षा संपदा ने नया रेट नगर निगम को नहीं सौंपा है। पुराने रेट पर ही संबंधित इलाके की देखरेख करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। बकाये के तौर 57 हजार रुपये की मांग भी दोहराई है। इसको लेकर नगर निगम प्रशासन ने रक्षा संपदा से संबंधित बैंक खाते का नंबर मांगा है जिसमें वह बकाया धनराशि जमा कर सके। ऐसा नहीं होने पर संबंधित अधिकारी के नाम से चेक देने का विकल्प भी सुझाया है।

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