ई-पीएचसी की सुविधा प्रदान करने वाले श्रेष्ठ पांच जिलों में वाराणसी, छह हजार से अधिक मरीजों ने कराया इलाज

डिजिटल इंडिया का असर पर सूबे के स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखने लगा है। सुदूर इलाकों के मरीजों को निश्शुल्क सुविधा देने के क्रम में सूबे के दस जिलों में ई-पीएचसी की सुविधा शुरू की गई थी जिसमें अब तक 50 हजार से अधिक मरीज इलाज करा चुके हैं।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 07:23 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 07:23 PM (IST)
ई-पीएचसी की सुविधा प्रदान करने वाले श्रेष्ठ पांच जिलों में वाराणसी, छह हजार से अधिक मरीजों ने कराया इलाज
डिजिटल इंडिया का असर पर सूबे के स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखने लगा है।

वाराणसी, जेएनएन। डिजिटल इंडिया का असर पर सूबे के स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दिखने लगा है। सुदूर इलाकों के मरीजों को निश्शुल्क सुविधा देने के क्रम में सूबे के दस जिलों में ई-पीएचसी की सुविधा शुरू की गई थी, जिसमें अब तक 50 हजार से अधिक मरीज इलाज करा चुके हैं। ई-पीएचसी की सुविधा प्रदान कराने वाले श्रेष्ठ पांच जिलों में बनारस शामिल है। वहीं वाराणसी मंडल का चंदौली जिला सबसे आगे है।

पिछले वर्ष वाराणसी समेत चंदौली, बहराइच, फतेहपुर, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धर्थनगर, चित्रकूट, गोरखपुर और सोनभद्र में ई-पीएचसी की शुरुआत की गई थी। इसके जरिए अब तक 50795 मरीजों का इलाज किया गया। बनारस में सारनाथ पीएचसी को ई-पीएचसी बनाया गया है। यहां अब तक 6242 मरीजों का उपचार किया गया। वहीं चंदौली के कमलापुर ई-पीएचसी में सर्वाधिक 8348 मरीज देखे गए। सीएमओ डा. वीबी ङ्क्षसह के मुताबिक ई-पीएचसी पर कम समय में ही बेहतर इलाज देना संभव होता है। ऐसे में यह पहल बहुत ही कारगर साबित हो रही है। 

ई-पीएचसी वाले जिलों की स्थिति

जिला         मरीज

चंदौली         8348

बहराइच       6773

फतेहपुर       6681

वाराणसी       6242

श्रावस्ती        5809

बलरामपुर     4555

सिद्धार्थ नगर  3515

चित्रकूट        3164

गोरखपुर       2872

सोनभद्र        2838

भविष्य की चल रही तैयारी

पीएचसी के निदेशक डा. वीके सिंह ने बताया कि अभी तो पायलट प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ई-पीएचसी के रूप में तब्दील किया गया है। जहां बेहतरीन परिणाम आए हैं। भविष्य में ऐसे 100 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जो विभिन्न कारणों से बंद होने की स्थिति में हैं उनको ई-पीएचसी के रूप में विकसित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में कम्यूनिटी हेल्थ आफिसर (सीएचओ) को भी जोड़ा जाएगा, ताकि गैर संचारी रोग का निवारण भी पीएचसी स्तर पर ही किया जा सके।

ई-पीएचसी पर 21 से अधिक पैथालाजिकल जांच निश्शुल्क

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी डा. एके मौर्य ने बताया कि बताया कि ई-पीएचसी यानि इलेक्ट्रानिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उत्तर प्रदेश में पीपीपी माडल पर विकसित किए गए हैं। ई-पीएचसी पर नर्स, लैब टेकनीशियन और फार्मासिस्ट तैनात होते हैं। नर्स/फर्मासिस्ट आए हुये मरीज का पंजीकरण कर उसकी पूरी जानकारी अपने कमांड सेंटर को भेजते हैं। इसके बाद वीडियो काङ्क्षलग के जरिये तत्काल एमबीबीएस डाक्टर परामर्श देते हैं। खास बात यह कि मरीज की पैथोलाजिकल जांच रिपोर्ट डाक्टर और मरीज दोनों के ईमेल पर एक साथ आती है। इससे डाक्टर को दवा बताना बहुत आसान हो जाता है। ई-पीएचसी पर मरीज को परामर्श, दवा की निश्‍शुल्क सुविधा दी जाती है। साथ ही ईसीजी, एचआईवी, डेंगू, मलेरिया समेत 21 से अधिक पैथोलाजिकल जांच भी मुफ्त में की जाती है।

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