Varanasi City Weather Update : अरब सागर के चक्रवात ने दी दुश्वारी, पूर्वांचल में बढ़ने लगा पारा
मौसम का रुख अब तल्ख गर्मी की ओर होने लगा है। तापमान में लगातार दूसरे दिन भी इजाफा होने से मौसम का रुख चुनौती दे रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार वातावरण में पर्याप्त नमी और लोकल हीटिंग के असर से बूंदाबांदी के हालात 19 मई को बन सकते हैं।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में मौसम का रुख अब तल्ख गर्मी की ओर होने लगा है। तापमान में लगातार दूसरे दिन भी इजाफा होने से मौसम का रुख चुनौती दे रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार वातावरण में पर्याप्त नमी और लोकल हीटिंग के असर से बूंदाबांदी के हालात 19 मई को बन सकते हैं। जबकि इससे पूर्व दो दिनों तक तापमान में इजाफा होने के साथ ही चक्रवात का असर होने पर बादलों की सक्रियता का दौर भी बन सकता है। मौसम विभाग ने तापमान में इजाफा होने के साथ ही बादलों की सक्रियता का भी अंदेशा जाहिर किया है।
रविवार की सुबह ठंडी हवाओं के साथ हुई लेकिन सुबह आठ बजते बजते हवाएं भी शांत हो गईं और सूरज की रोशनी की तल्खी में वातावरण में गर्मी का असर सुबह से ही घुलने लगा। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में मौसम का रुख और भी तल्ख होगा। मौसम की यह मार का असर पूरे तीस दिनों तक मानसून के आगमन तक बना रहेगा। अब पूरे 30 दिनों के बाद मानसून यूपी में सोनभद्र के रास्ते दस्तक देगा और जल्द ही इसका असर पूरे उत्तर प्रदेश में दिखाई देने लगेगा। वहीं मानसून को अब अरब सागर में बने चक्रवात द्वारा प्रभावित करने की भी संभावना नजर आने लगी है। चक्रवात कमजोर भले हुआ हो लेकिन दक्षिण में पखवारे भर में आने वाले मानसून की गति को प्रभावित कर सकती है। बीते वर्षों में भी अरब सागर में बने चक्रवात ने मानसून का मिजाज बिगाड़ा था।
बीते चौबीस घंटों में अधिकतम तापमान 40.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य रहा, न्यूनतम तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री अधिक रहा। आर्द्रता इस दौरान अधिकतम 62 फीसद और न्यूनतम 32 फीसद दर्ज की गई। मौसम विभाग की ओर से जारी सैटेलाइट तस्वीरों में पूर्वांचल में बादलों की सक्रियता नहीं है। इसकी वजह से तापमान में भी इजाफा हो रहा है। रविवार को दोपहर में तापमान में और भी अधिकता देखी जाएगी। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि अरब सागर में मौजूद चक्रवात का असर दो दिनों में पूर्वांचल में नजर आने लगेगा जो फिलहाल महाराष्ट्र के आसपास मौजूद है।