यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : आजमगढ़ के दीदारगंज के तीसरे चुनाव में बदला-बदला होगा परिदृश्य

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 लालगंज सुरक्षित सीट होने के बाद वहां से विधानसभा का चुनाव जीतने वाले सुखदेव राजभर ने यहां से 2017 में बसपा के टिकट पर सफलता हासिल की लेकिन निधन से पहले ही उन्होंने अपने बेटे कमलाकांत राजभर को सपा की राह दिखा दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 11:10 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 11:10 AM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : आजमगढ़ के दीदारगंज के तीसरे चुनाव में बदला-बदला होगा परिदृश्य
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 : आजमगढ़ के दीदारगंज के तीसरे चुनाव में बदला-बदला होगा परिदृश्य

आजमगढ़, जागरण संवाददाता। बेसो, मंगई, गांगी नदी के किनारे बसे और महुजा नेवादा स्थित माता अठरही धाम, बंधवा महादेव, चितारा महमूदपुर स्थित पातालपुरी शिव धाम को समेटे दीदारगंज विधानसभा का उदय वर्ष 2012 में सरायमीर का अस्तित्व समाप्त होने के बाद हुआ।

अब तक दो चुनाव हुए तो पहली बार सपा और दूसरी बार बसपा को सफलता मिली, लेकिन तीसरे चुनाव में परिदृश्य फिलहाल बदला-बदला सा दिख रहा है।कारण कि पहले चुनाव में उलेमा कौंसिल से चुनाव लड़कर तीसरे नंबर पर रहे भूपेंद्र सिंह मुन्ना इस बार बसपा के दावेदार हैं।

हालांकि दूसरे चुनाव में यहां मोदी लहर का असर साफ दिखा था और पहले चुनाव में 1.81 फीसद वोट पाकर चौथे स्थान पर रहने वाली भाजपा 26.90 फीसद वोट के साथ तीसरा स्थान हासिल कर लिया था। यानी भाजपा के वोट का फीसद पहले चुनाव की अपेक्षा काफी बढ़ा।

लालगंज सुरक्षित सीट होने के बाद वहां से विधानसभा का चुनाव जीतने वाले सुखदेव राजभर ने यहां से 2017 में बसपा के टिकट पर सफलता हासिल की, लेकिन निधन से पहले ही उन्होंने अपने बेटे कमलाकांत राजभर को सपा की राह दिखा दी। जाहिर सी बात है कि पहले विधायक आदिल शेख अपनी दावेदारी पेश करेंगे ही, साथ ही कमलाकांत भी टिकट मांग सकते हैं।

संपूर्ण मार्टीनगंज, तीन चौथाई मोहम्मदपुर व फूलपुर विकासखंड के लगभग आधा गांव इस विधानसभा में आते हैं। 184 गांवों के लोग मतदान करते हैं। जनपद की सबसे पिछड़ी कहे जाने वाली इस विधानसभा में समाजवादी पार्टी सरकार में विकास के नाम पर मार्टीनगंज तहसील का निर्माण, फायर स्टेशन का निर्माण, रोडवेज बस अड्डे का निर्माण, आइटीआइ और करीब 149 गांव में विद्युतीकरण का कार्य हुआ था, लेकिन उसके बाद विकास के नाम पर कुछ नहीं हो सका। कारण कि बसपा के विधायक तो चुन लिए गए, लेकिन उनकी सरकार नहीं बनी।शिक्षा के नाम पर जहां प्राइवेट स्कूलों की संख्या अधिक है, जबकि सरकारी डिग्री कालेज कोई भी नहीं है। राजकीय बालिका विद्यालय और रेलवे स्टेशन का लोगों को शुरू से इंतजार है।

क्षेत्र में सीताराम अस्थाना, उमाशंकर तिवारी, रमेश चंद्र अस्थाना स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिसमें सुरहन के सीताराम अस्थाना प्रथम सांसद बने।विधानसभा के जातीय समीकरण पर गौर किया जाए, तो अनुमानत: 70500 अनुसूचित जाति, 68500 मुसलमान, 56000 यादव, 46000 राजभर, 18500 चौहान, 15022 राजपूत,12500 वैश्य, 10500 ब्राह्मण, 7000 भूमिहार मतदाता हैं।

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