वाराणसी में कोविड जांच के नाम पर वसूली जा रही मनमारी फीस, किट की सीमित उपलब्धता के चलते परेशानी

कोरोना संक्रमण की तीव्र दर से जहां आमजन सांसत में हैं। कोरेाना जांच कराने के लिए प्रशासन ने तकरीबन 40 केंद्र बनाए हैं लेकिन किट की सीमित उपलब्धता के चलते अधिकांश लोगों को भटकना पड़ रहा है। इसका फायदा निजी लैब संचालक उठा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 06:50 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 06:50 AM (IST)
वाराणसी में कोविड जांच के नाम पर वसूली जा रही मनमारी फीस, किट की सीमित उपलब्धता के चलते परेशानी
किट की सीमित उपलब्धता के चलते अधिकांश लोगों को भटकना पड़ रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की तीव्र दर से जहां आमजन सांसत में हैं। कोरेाना जांच कराने के लिए प्रशासन ने तकरीबन 40 केंद्र बनाए हैं, लेकिन किट की सीमित उपलब्धता के चलते अधिकांश लोगों को भटकना पड़ रहा है। इसका फायदा निजी लैब संचालक उठा रहे हैं। स्थिति ये है कि इस समय निजी अस्पताल में कोरोना जांच के लिए करीब तीन गुना अधिक धनराशि वसूली जा रही है। इससे आमजन परेशान है, लेकिन प्रशासनिक दबाव न होने के चलते उनके सामने कोई विकल्प भी नहीं है।

शासन द्वारा स्पष्ट गाइड लाइन जारी की गई हैकि यदि कोई निजी लैब या अस्पताल में जांच कराता है तो उसे 700 रुपये शुल्क देना होगा। वहीं निजी लैब द्वारा लोगों के घर जाकर सैंपल लिया जाएगा तो उसे 900 रुपये देने होंगे। इसके बाद भी बुधवार को शहर के कई निजी अस्पताल में मनमानी देखने को मिली। लोगों को आरटीपीसीआर जांच के नाम पर पर दो हजार से ढाई हजार रुपये तक चुकाने पड़े। कबीरचौरा निवासी मनोज तिवारी ने बताया कि उन्होंने एक निजी लैब में 2200 रुपए कोरोना जांच शुल्क अदा किया है। मना करने पर कहा गया कि जहां उस रेट में जांच हो करा लीजिए। मजबूरी में उन्हें वहीं जांच करानी पड़ी। इस मामले में प्रभारी सीएमओ डा. एनपी सिंह ने कहा कि कहीं कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

खुद ही बढ़ा रहे है कोरोना

बनारस में सिर्फ यही एक सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है जहां मरीजों के लिए ओपीडी की सुविधा सामान्य ढंग से संचालित है। बीएचयू हॉस्पिटल में जहां दो दिन पहले ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई है, वहीं डीडीयू जिला अस्पताल पिछले साल से ही कोविड हॉस्पिटल घोषित हो चुका है। ऐसे में अब मंडलीय अस्पताल ही बनारस व आस-पास के जनपदवासियों का सहारा है। मगर जिस तरह से यहां लापरवाही बरती जा रही है, उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अपने मर्ज को ठीक कराने के लिए अस्पताल आने वाले मरीज कोरोना संक्रमण की गंभीर बीमारी अपने घर लेकर जा रहे हैं। इससे न सिर्फ वे खुद का जीवन खतरे में डाल रहे है, बल्कि अपने घर वालों और अन्य लोगों को भी संक्रमण बांट रहे हैं।

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