मौसम की बेरुखी से छूट रहे किसानों के पसीने, डेढ़ दशक से जौनपुर में हो रही औसत से कम वर्षा

मौसम की बेरुखी के चलते अन्नदाताओं को पसीने छूट रहे हैं। वर्षा ऋतु की विदाई की बेला आ गई लेकिन अभी तक महज 251.04 मिलीमीटर ही बारिश हुई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 16 Sep 2020 11:01 PM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 11:01 PM (IST)
मौसम की बेरुखी से छूट रहे किसानों के पसीने, डेढ़ दशक से जौनपुर में हो रही औसत से कम वर्षा
मौसम की बेरुखी से छूट रहे किसानों के पसीने, डेढ़ दशक से जौनपुर में हो रही औसत से कम वर्षा

जौनपुर, जेएनएन। मौसम की बेरुखी के चलते अन्नदाताओं को पसीने छूट रहे हैं। वर्षा ऋतु की विदाई की बेला आ गई, लेकिन अभी तक महज 251.04 मिलीमीटर ही बारिश हुई। सितंबर माह में महज 6.33 मिलीमीटर बारिश होने के कारण स्थिति विकट हो गई है। उमसभरी गर्मी व तीखी धूप से लोग परेशान हैं। खेतों में नमी न होने के कारण फसलें सूख रही हैं और उत्पादन काफी कम होने का खतरा मंडरा रहा है। जिसे लेकर किसान चिंतित हैं।

 एक दशक से जनपद में लगातार 865.90 मिलीमीटर औसत से काफी कम बारिश हो रही है। नतीजतन भूगर्भ जलस्तर नीचे भागता जा रहा है। किसानों के सामने सिंचाई का संकट गहराने लगा है। बारिश न होने के कारण खेती में लागत अधिक होने के साथ दीमक व अन्य कीटों का प्रकोप भी बढ़ गया है। इस साल भी जून माह में मानसून ने निराश किया। इस माह में 87.60 मिलीमीटर औसत बारिश के सापेक्ष महज 35.67 मिलीमीटर बारिश हुई। लंबे समय बाद जुलाई माह में लगातार दस दिन मानसून सक्रिय रहा। गांव से लेकर शहर तक पानी-पानी हो गया है, लेकिन इसके बाद बारिश की रफ्तार धीमी पड़ गई और 269.20 मिलीमीटर औसत बारिश के सापेक्ष महज 147.27 मिलीमीटर ही हुई। अगस्त माह में तो स्थिति और दयनीय रही। इस माह 269.50 मिलीमीटर के सापेक्ष 61.77 मिलीमीटर ही बारिश हो पाई। सितंबर माह का पहला पखवारा सूखे में ही बीत गया। अब तक महज 6.33 मिलीमीटर ही बारिश हुई। खेतों में नमी न होने के कारण फसलें सूख रही हैं। सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को हो रहा है।

मानसून कमजोर पड़ जाने के कारण बारिश थम गई

जुलाई व अगस्त माह में औसत से कम बारिश हुई, लेकिन समय-समय पर बारिश होते रहने से खेतों में नमी बरकरार रही। तापमान भी काफी हद तक नियंत्रित था। वर्तमान में फसलें खासकर अगेती धान की फसलें दुग्धावस्था में हैं। ऐसे में पानी नहीं मिला तो दाने पतले होने के साथ ही उत्पादन भी प्रभावित होगा। किसान खेतों में नमी बनाए रखें। कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा के कार्यक्रम समन्वयक डा. सुरेश कनौजिया का कहना है कि मानसून कमजोर पड़ जाने के कारण बारिश थम गई है।  स्थानीय स्तर पर हवा के दबाव के कारण एक-दो दिन में बारिश होने की उम्मीद है। तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण धान की फसल में कंडुवा रोग भी तेजी से लग रहा है।  विशेषज्ञों की सलाह पर किसान दवाओं का छिड़काव करें।

15 साल में बारिश का आंकड़ा

वर्ष- बारिश (मिलीमीटर में)

2006-590.73

2007-381.44

2008-647.48

2009-381.59

2010-304.06

2011-409.17

2012-427.82

2013-440.26

2014-259.64

2015-422.46

2016-589.40

2017-323.85

2018-348.61

2019-386.50

2020-251.04

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