गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक ने पेश की मिशाल, आंगनबाड़ी केंद्र में बेटी का कराया दाखिला

दो वर्षीय बेटी अम्बावीर का नामांकन विशेश्वरगंज स्थित माडल आंगनबाड़ी केंद्र में कराकर समाज को न सिर्फ आईना दिखाया बल्कि एक संदेश भी दिया कि बदलाव की बयार बह निकली है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 12 Feb 2019 04:37 PM (IST) Updated:Tue, 12 Feb 2019 06:02 PM (IST)
गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक ने पेश की मिशाल, आंगनबाड़ी केंद्र में बेटी का कराया दाखिला
गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक ने पेश की मिशाल, आंगनबाड़ी केंद्र में बेटी का कराया दाखिला

गाजीपुर, जेएनएन। युवा और उर्जावान पुलिस अधीक्षक डा. यशवीर सिंह ने अपनी दो वर्षीय बेटी अम्बावीर का नामांकन विशेश्वरगंज स्थित माडल आंगनबाड़ी केंद्र में कराकर समाज को न सिर्फ आईना दिखाया बल्कि एक संदेश भी दिया कि बदलाव की बयार बह निकली है। अम्बावीर अब नियमित आंगनबाड़ी केंद्र अाएगी और सामान्य बच्चों संग पढ़ाई करने के साथ पुष्टाहार भी ग्रहण करेगी। 

सरकारी शिक्षण व्यवस्था अभी भी कितना प्रभावी है, पुलिस अधीक्षक के फैसले को देखकर यह महसूस होता है। यूं तो आम से लेकर खास लोग अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों को डालने की होड़ लगाए हैं। इसके लिए वह कितना भी खर्च करने को तैयार हैं। अगर बात की जाए सरकारी अफसरों की तो उनके लाडले महंगे से महंगे स्कूलों में जाते हैं। एेसे में पुलिस अधीक्षक के इस फैसले ने सभी को एक बार और सोचने पर विवश कर दिया है। उनकी पत्नी प्रियंका सिंह गत शुक्रवार को बेटी के साथ पहली बार आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचीं थीं।

उन्होंने अपनी वहां पर आंगनबाड़ी में मिलने वाली सेवाओं जैसे बचपन दिवस, लाडली दिवस, ममता दिवस, गोद भराई, सुपोषण स्वस्थ्य मेला, रेसिपी प्रतियोगिता के द्वारा कुपोषण दूर करने के उपाय के बारे में बताया। वह चार घंटे तक वहां रहीं। उसी दिन बेटी का दाखिला करवाया। मंगलवार को अम्बावीर पहली बार पढ़ने के लिए मां के साथ पहुंची थी। मां प्रियंका ने कहा कि बच्चों को उनके अनुकूल परिवेश मिलना चाहिए। बताया कि अम्बावीर सुरक्षा के बीच रहकर उदास महसूस करती है। उनकी दुनिया तो यहां है, हम उम्र बच्चों के बीच। उसे अभी सुरक्षा की दुनिया नहीं बल्कि अपने जैसे दोस्त चाहिए। 

बच्चों संग बेहद खुश नजर आई अम्बावीर : अम्बावीर अन्य बच्चों के साथ काफी घुलमिल गई। वह उनके साथ बेहद खुश भी नजर आई। इतना ही नहीं उसने एमडीएम में बने चावल-सब्जी को अन्य बच्चों के साथ पूरे चाव से खाया। अन्य बच्चे भी काफी आह्ललादित रहे। लोगों में इसकी खूब चर्चा रही। 

बोले पुलिस अधीक्षक : हम भी सरकारी स्कूल में ही पढ़े हैं। अगर सभी सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के बच्चे वहां पढ़ने लगे तो सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था सुधर जाएगी। मेरी पत्नी की भी मंशा थी कि बेटी का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराया जाए ताकि वह हमउम्र बच्चों के साथ कुछ पल गुजार सके।  -डा. यशवीर सिंह, पुलिस अधीक्षक।

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