Sharadiya Navratri 2020 : शक्ति आराधना पर्व में इस बार अतिदुर्लभ संयोग, मिल रहा तीन सर्वार्थ सिद्धि
महाशक्ति की उपासना का पर्व इस बार 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा जो 25 अक्टूबर को महानवमी तक चलेगा। खास यह कि अबकी इसमें कई अतिदुर्लभ संयोग बन रहे हैैं। तंत्र-मंत्र-यंत्र साधकों के लिए ऐसा दुर्लभ संयोग कई दशक बाद आ रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति की आराधना-साधना का प्रमुख पर्व शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। महाशक्ति की उपासना का पर्व इस बार 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा जो 25 अक्टूबर को महानवमी तक चलेगा। खास यह कि अबकी इसमें कई अतिदुर्लभ संयोग बन रहे हैैं। नौ दिनी पर्व में सात दिन अलग-अलग योग मिल रहे हैैं। नवरात्र के पहले दिन 17 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, दूसरे दिन 18 को त्रिपुष्कर योग, तीसरे दिन 19 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग, चौथे व पांचवें दिन 20 व 21 अक्टूबर को रवि योग और आठवें दिन 24 अक्टूबर को पुन: सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा। तंत्र-मंत्र-यंत्र साधकों के लिए ऐसा दुर्लभ संयोग कई दशक बाद आ रहा है।
एक ही दिन नवमी-दशमी
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार 25 अक्टूबर को सुबह 11.14 बजे तक ही नवमी है। ऐसे में इससे पूर्व ही नवमी का होम आदि अनुष्ठान कर लेना होगा। इसके बाद 11.15 बजे से दशमी तिथि लग जाएगी और विजय दशमी के अनुष्ठान किए जाएंगे। इससे पहले 23-24 अक्टूबर की रात महानिशा पूजन किया जाएगा और 24 को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा।
पारणा के विकल्प
नवरात्र की पारणा 25 अक्टूबर को 11.14 बजे दिन के बाद दशमी तिथि में की जा सकेगी। उदयातिथि अनुसार 26 को सुबह नवरात्र व्रत की पारणा की जाएगी। महा अष्टमी व्रत की पारणा 25 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद किया जाएगा।
अश्व पर आगमन, भैैंसा पर प्रस्थान
शारदीय नवरात्र में इस बार माता का आगमन अश्व पर तो गमन भैैंसा पर हो रहा है। दोनों का फल आमजनमानस पर विपत्ति, रोग-शोक व असंतोष के रूप में लिया जाता है। इसके निवारणार्थ पूजन अनुष्ठान किए जाते हैैं।
कलश स्थापना
धर्म शास्त्र अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को चित्रा व वैधृति नक्षत्र मिल रहे हों तो इस अवधि में कलश स्थापना नहीं की जाती है। इस बार प्रतिपदा के साथ चित्रा का दुर्योग बन रहा है। अत: कलश स्थापन का शुभ मुहुर्त सुबह 11.38 से 12.23 बजे तक किया जा सकेगा। उसके बाद चित्रा नक्षत्र दिन में 2.20 बजे तक है। ऐसे में जो लोग अभिजिन्न मुहूर्त में कलश स्थापन न कर पाए हों, वे लोग दिन में 2.20 के बाद कलश स्थापना कर सकते हैैं। हालांकि श्रेयस्कर अभिजिन्न मुहूर्त ही होगा।