प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व बीएचयू में बवाल को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

पिछले साल सितंबर में पीएम के दौरे के दौरान भी भारी बवाल हुआ था। इस बार भी पीएम के आने से चंद दिन पूर्व बीएचयू के गरमाने से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 11:40 AM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 11:40 AM (IST)
प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व बीएचयू में बवाल को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व बीएचयू में बवाल को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

वाराणसी । पिछले साल सितंबर में पीएम के दौरे के दौरान भी बीएचयू में भारी बवाल हुआ था। इस बार भी पीएम के आने से चंद दिन पूर्व बीएचयू के गरमाने के चलते सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है। आइबी व एलआइयू की स्पेशल टीमें परिसर में डेरा डाल चुकी हैं। पल-पल की घटनाओं की जानकारी केंद्र व प्रदेश सरकार के अफसरों को दी जा रही है।   

विवाद की जड़ में राजनीति

बीएचयू में बार-बार विवाद का कारण छात्र ही नहीं है बल्कि अंदर की राजनीति भी है। अंदरखाने की बात जमीन पर तब आई जब कुलपति संग पुलिस, प्रशासन व बीएचयू के जिम्मेदार अधिकारी बैठक कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि बैठक में कई अधिकारियों ने चीफ प्रॉक्टर का विरोध किया। उनका कहना था कि बार-बार विवाद बढ़ रहा है मगर प्राक्टोरियल बोर्ड को भनक तक नहीं लग पा रही है। चीफ प्रॉक्टर पर लगे आरोप को सुन कुलपति शांत बैठे रहे। इसको लेकर भी जिम्मेदारों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की।

 

विवि में गुटबाजी भी वजह 

कई अध्यापकों, प्रॉक्टर के वरिष्ठ अधिकारियों व छात्रों का एक गुट विवाद के पीछे सक्रिय है। इसके पीछे चीफ प्रॉक्टर की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में हैं। बुधवार को इसकी बानगी भी दिखी जब बवाल की शुरुआत में ही हास्टल में छापेमारी कर दी गई। पुलिस को अंदर भी बुलाया जाने लगा मगर किसी कारणवश फोर्स बाहर ही रह गई। इस बात को लेकर भी छात्रों का एक धड़ा विरोध पर उतारु है। बिड़ला हास्टल के छात्रों का कहना है कि मामूली विवाद को लेकर आखिर इतनी तूल क्यों दे दी जाती है।

विवाद सुलझाने पर जोर नहीं

क्या प्यार-दुलार से समझाने का कोई तरीका नहीं होता। उनका आरोप यह भी है कि अक्सर चीफ प्रॉक्टर समझाकर बात नहीं करती बल्कि डांट देती है। इसके चलते छात्र व गुरु के बीच सम्मान का रिश्ता भी कमजोर होता जा रहा है। बीएचयू के विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि कुलपति से कई बार दोनों गुटों की शिकायत की गई मगर उनकी ओर से कोई पहल नहीं की जा रही। नतीजन एक गुट खुद को ऊपर करने के लिए बार-बार विवाद को हवा दे रहा है। ऐसे में यदि जल्द ही कुलपति ने ठोस कदम नहीं उठाया तो विवाद को हमेशा के लिए खत्म करना बेहद मुश्किल साबित होगा।

 

बाहर के छात्रों का हास्टल में कब्जा

बीएचयू में हुए बवाल को लेकर यह बात सामने आई है कि कई हास्टलों में बाहर के छात्र भी रह रहे हैं। ऐसे लोगों को बाहर करने के लिए आए दिन पुलिस द्वारा बीएचयू प्रशासन से अनुरोध किया जाता है मगर कोई सख्त कदम न उठाए जाने से अक्सर विवाद बढ़ता रहता है। बुधवार को भी हुए विवाद के दौरान कुछ इसी तरह का मामला सामने आया जब अय्यर हास्टल में हुए विवाद के लिए बाहरी छात्रों को भी दोषी माना गया। 

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