Rishi Kapoor ने 15 दिनों के प्रवास में आठ नाटकों में अदा किए थे बाल कलाकार की भूमिका

15 दिनों के प्रवास के दौरान ऋषि कपूर ने जौनपुर के उत्तम टाकीज में पृथ्वी थिएटर के बैनर तले हुए शो में चार हिंदी व चार अंग्रेजी नाटक में बतौर बाल कलाकार मंचन किया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 30 Apr 2020 07:54 PM (IST) Updated:Thu, 30 Apr 2020 07:54 PM (IST)
Rishi Kapoor ने 15 दिनों के प्रवास में आठ नाटकों में अदा किए थे बाल कलाकार की भूमिका
Rishi Kapoor ने 15 दिनों के प्रवास में आठ नाटकों में अदा किए थे बाल कलाकार की भूमिका

जौनपुर [दीपक उपाध्याय]। पांच साल की उम्र में ऋषि कपूर वर्ष 1957 में अपने दादा पृथ्वीराज कपूर, पिता राज कपूर व मां कृष्णा कपूर के साथ जनपद में आए थे। वह नगर के उर्दू बाजार के सत्या निवास में स्व.गुलजारी लाल वर्मा के यहां रुके थे। 15 दिनों के प्रवास के दौरान ऋषि कपूर ने जनपद के उत्तम टाकीज में पृथ्वी थिएटर के बैनर तले हुए शो में चार हिंदी व चार अंग्रेजी नाटक में बतौर बाल कलाकार मंचन किया था। पठान नाटक के मंचन में खटिया पर सोया बच्चा बाल कलाकार के रूप में ऋषि कपूर थे। जिले के वर्मा परिवार का पृथ्वी राज कपूर के खानदान से तीन पीढिय़ों का संबंध रहा। बॉलीवुड के चॉकलेटी अभिनेता ऋषि कपूर के निधन पर दैनिक जागरण प्रतिनिधि से वर्मा परिवार ने उनकी स्मृतियों को साझा किया।  

वर्मा परिवार के वरिष्ठ सदस्य डा.मदन मोहन वर्मा बताते हैं कि उनके दादा पेशावरी लाल वर्मा व अभिनेता पृथ्वीराज कपूर दोनों आजादी से पहले लाहौर में थिएटर के कलाकार के रूप में शुरुआत की। बंटवारे से पहले दोनों ही परिवार लाहौर में रहते थे और दोनों में ही अच्छी दोस्ती थी। भारत-पाकिस्तान के अलगाव से पहले उनके दादा पेशावरी लाल दिल्ली होते हुए जौनपुर में आकर बस गए। यहां 1946 में उनके पिता गुलजारी लाल वर्मा पुत्र पेशावरी लाल ने उत्तम टाकीज चलाना शुरू किया। देश आजाद हुआ तो कपूर खानदान मुंबई में जाकर बस गया। बताया कि दादा व पिता दोनों का टाकीज व फिल्मों के सिलसिले में अक्सर दिल्ली आना-जाना होता था। फिल्मी दुनिया में होने के कारण पृथ्वीराज कपूर का भी दिल्ली में आना लगा रहता था। किसी से बातों-बातों में दादा के बारे में जानकारी हुई तो पत्र के माध्यम से दोनों परिवार में एक बार फिर संपर्क हुआ। उनकी तरफ से मुंबई आने का न्यौता दिया गया। चूंकि दादा पृथ्वीराज थिएटर से जुड़े थे तो उन्होंने बताया कि वह जौनपुर में थिएटर करना चाहते हैं। इस पर पृथ्वी राज कपूर परिवार के साथ सितंबर वर्ष 1957 में जौनपुर आए। 15 दिनों तक यहां प्रवास किया। वह घर में ही रुके थे। उनके साथ पृथ्वीराज कपूर, उनके पुत्रों में राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर व राजकपूर के पुत्र ऋषि कपूर व उनकी मां कृष्णा कपूर समेत 30-40 लोगों की पूरी टीम थी। इस दौरान उनका राज कालेज व टीडी कालेज के मैदान में सम्मान समारोह भी हुआ था। परिवार के सदस्यों में जो उनको देखे हुए थे वर्तमान में मेरे अलावा बड़े भाई राधेश्याम वर्मा, चंद्रमोहन वर्मा, बृजमोहन वर्मा रहे। जिनको पूरी स्थिति अभी तक याद है। उनकी मां व परिवार के अन्य सदस्य एक साथ आंगन में इतनी बड़ी टीम के लिए रोजाना सुबह-शाम भोजन व नाश्ते की तैयारी किया करती थी।

परिवार के सदस्यों को फिल्मों में आने का दिया न्यौता

उत्तम टाकीज के संचालक ऋषि वर्मा ने बताया कि उनके पिता गुलजारी लाल वर्मा कहा करते थे कि पृथ्वीराज कपूर साहब हमारे बड़े भाई सीता वर्मा को जो बहुत अच्छी फोटोग्राफी किया करते थे, उनको फिल्मों में काम करने के लिए न्यौता दिया था। साथ ही अन्य सदस्यों को अभिनय के लिए आमंत्रित किया था। बावजूद कोई फिल्मों में नहीं जा सका। हालांकि उस समय के भकुरा निवासी ठाकुर कैलाापति सिंह को भी बुलाया था, जो अभी कुछ दिनों पहले तक राजश्री फिल्म प्रोडक्शन में बतौर मैनेजर सेवा देकर रिटायर हुए।

ऋषि कपूर को दी गई श्रद्धांजलि

बालीवुड कलाकार ऋषि कपूर के निधन की खबर मिलते ही उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई। शीतला चौकिया धाम क्षेत्र के आजमगढ़ हाईवे स्थित मुस्कान पैलेस में गुरुवार को दोपहर भोजपुरी कलाकार आशीष माली व अन्य साथियों ने अभिनेता इरफान खान व ऋषि कपूर के आकस्मिक निधन पर शोक संवेदना प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। दोनों मशहूर अभिनेताओं के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया। श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले लोगों ने कहा कि दोनों ही कलाकारों की यादगार फिल्मों को देश कभी भूल नहीं पाएगा। सुजीत मौर्य, जवाहरलाल मौर्य, बड़े लाल निषाद, मनीष मौर्य, आशीष मौर्य समेत अन्य ने श्रद्धांजलि व्यक्त की।

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