बिजली के आयात में हो रही रिकार्ड वृद्धि, 6225 मेगावाट की नई इकाइयों की हो रही स्थापना

बिजली की बढ़ती मांग और प्रदेश में अपेक्षित उपलब्धता की कमी के कारण बिजली का आयात बढ़ते जा रहा है। बीते सितंबर माह में बिजली की मांग रिकार्डतोड़ ऊंचाई तक पहुंची थी। बीते 18 सितंबर को अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट पहुंच गई थी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 09:18 PM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 09:18 PM (IST)
बिजली के आयात में हो रही रिकार्ड वृद्धि, 6225 मेगावाट की नई इकाइयों की हो रही स्थापना
अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट पहुंच गई थी।

सोनभद्र, जेएनएन। बिजली की बढ़ती मांग और प्रदेश में अपेक्षित उपलब्धता की कमी के कारण बिजली का आयात बढ़ते जा रहा है। बीते सितंबर माह में बिजली की मांग रिकार्डतोड़ ऊंचाई तक पहुंची थी। बीते 18 सितंबर को अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट पहुंच गई थी। यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के आकड़ों के अनुसार बढ़ते मांग को पूरा करने के लिए बिजली का रिकार्ड तोड़ आयात बढ़ाना पड़ा है। बीते सितंबर माह में केंद्रीय पूल से औसतन प्रतिदिन रिकार्ड 187.2 मिलियन यूनिट बिजली का आयात करना पड़ा।

सितंबर 2019 के सापेक्ष सितंबर 2020 में लगभग 13 फीसद की वृद्धि आयात में हुई है। इससे पहले बीते जुलाई माह में प्रतिदिन रिकार्ड 185.4 मियू बिजली आयात की गयी थी। मांग के अधिकतम 479.7 मिलियन यूनिट तक पहुंचने के कारण बिजली के आयात में भारी वृद्धि करनी पड़ रही है। पिछले वर्ष तक सबसे ज्यादा बिजली जून 2019 में 182 मिलियन यूनिट आयात करनी पड़ी थी। पिछले एक दशक के दौरान बिजली की अधिकतम प्रतिबंधित मांग में 13 हजार मेगावाट से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। मांग को पूरा करने के लिए ही रिकार्डतोड़ बिजली का आयात करना पड़ रहा है। जुलाई 2010 में जहां 8657 मेगावाट की आपूर्ति की गयी थी वहीं सितंबर 2020 में रिकार्ड 23,867 मेगावाट की आपूर्ति की गई। बिजली की मांग 23 हजार मेगावाट से पार होने के बाद प्रदेश में उत्पादन वृद्धि का दबाव बढ़ते जा रहा है। मांग पूरा करने के लिए लगभग 40 फीसद बिजली का आयात करना पड़ रहा है। राज्य विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों से चार हजार मेगावाट के करीब उत्पादन होता है बाकी 80 फीसद से ज्यादा बिजली केंद्रीय पूल एवं निजी बिजली घरों से ली जा रही है।

उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर जोर

प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की नई इकाइयों की स्थापना पर भी जोर दिया जा रहा है। इससे प्रदेश को सात हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली मिल सकेगी। इसके बाद केंद्रीय पूल से निर्भरता में 60 फीसद की कमी होगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम 660 मेगावाट की कुल 10 इकाइयों की स्थापना पर काम कर रहा है। इसमें छह इकाइयां उत्पादन निगम की परियोजनाओं में तथा चार इकाइयां संयुक्त उपक्रम के तहत लगाई जा रही है। इन इकाइयों के स्थापना से प्रदेश को कुल 6225 मेगावाट बिजली मिलेगी। इसके बाद ओबरा-डी के तहत 800-800 मेगावाट की दो इकाइयों का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाया जा रहा है। इस इकाई के आने पर प्रदेश की क्षमता में कुल 7825 मेगावाट की वृद्धि हो जाएगी।

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