Lockdown के दौरान छात्रों को घर से दे रहे शिक्षा, तकनीक की राह पर दर्शन का ज्ञान हुआ डिजिटल

दर्शन ऐसा क्षेत्र है जिनके सिद्धांतों और विचारों का आदान-प्रदान गुरु अपने शिष्य से पत्यथ पूर से करता है।

By Edited By: Publish:Mon, 20 Apr 2020 02:29 AM (IST) Updated:Mon, 20 Apr 2020 11:15 AM (IST)
Lockdown के दौरान छात्रों को घर से दे रहे शिक्षा, तकनीक की राह पर दर्शन का ज्ञान हुआ डिजिटल
Lockdown के दौरान छात्रों को घर से दे रहे शिक्षा, तकनीक की राह पर दर्शन का ज्ञान हुआ डिजिटल

वाराणसी, जेएनएन। दर्शन ऐसा क्षेत्र है, जिनके सिद्धांतों और विचारों का आदान-प्रदान गुरु अपने शिष्य से प्रत्यक्ष रूप से करता है तो ही इसका मूल स्पष्ट होता है। लेकिन डा. विपिन पांडेय लद्दाख में बैठे अपने छात्रों को घर से ही बेहद प्रभावी रूप से दर्शन पढ़ा रहे हैं। डा. विपिन के मुताबिक लद्दाख के लोग बौद्ध दर्शन अपने शैक्षणिक काल की शुरुआत से ही पढ़ते हैं। इस कारण से उन लोगों का बौद्धिक और वैचारिक स्तर काफी उच्च होता है। उन्हेंबौद्ध दर्शन के सिद्धांतों को समझने में कोई विशेष दिक्कत नहीं होती। वे आडियो और लिखित पाठ्य सामग्री से भी बड़ी कठिन से कठिन विषय आसानी से समझ जाते हैं। लद्दाख स्थित केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान में तुलनात्मक दर्शन विभाग के अध्यक्ष डा. विपिन कुमार पांडेय इन दिनों बनारस अपने निवास से ही छात्रों की कक्षा चला रहे हैं। तीन शिफ्ट में बांटकर पहला सुबह 11 बजे, दूसरा दोपहर एक बजे और तीसरा शाम चार बजे कक्षा का संचालन कर रहे हैं। इस दौरान वह अपने छात्रों को वाट्सएप पर ही आडियो लेक्चर और स्टडी नोट्स उपलब्ध करा रहे हैं। छात्रों के सवालों का जवाब दिन भर फोन के माध्यम से देते हैं। लद्दाख छोड़ने के पहले ही कर लिए थे तैयारी डा. विपिन बताते हैं कि कोरोना महामारी बढ़ने की सूरत में वह दस मार्च को ही बनारस आ गए थे। उन्हें ऐसा आभास था कि लोगों की यात्राएं अब बाधित हो जाएंगी इसलिए छात्रों का कोर्स न पिछड़े वहां से निकलने के पहले ही अपने लैपटॉप में किताबों और अन्य पाठ्य सामग्रियों की ई-कापी और पीडीएफ लोड कर लिए थे। इसके अलावा जरूरत होने पर वह इंटरनेट से भी किताबें खरीद कर छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा करा रहे हैं। डा. पांडेय का एक शोध छात्र वज्रयान बुद्धिजम पर वर्कशाप के लिए लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गया था, लेकिन तब तक कोरोना महामारी ने विदेश यात्राओं पर ब्रेक लगा दिया और वह वहीं पर रह गया है। उसके शोध पत्र को भी डा. पांडेय घर बैठे ही संशोधन और सुझाव देते हैं।

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