अमेरिका के सिलिकॉन वैली में भी होगा अब शिवालय, काशी से मिली विशेष प्रेरणा

प्रवासी भारतीय दिवस में शामिल होने आए लोग काफी कुछ काशी से लेकर तो काफी कुछ देकर गए हैं, काशी आए एक दंपती का मानना है कि विश्‍व भर में शिव मंदिरों की स्‍थापना हो।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 26 Jan 2019 03:40 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jan 2019 03:56 PM (IST)
अमेरिका के सिलिकॉन वैली में भी होगा अब शिवालय, काशी से मिली विशेष प्रेरणा
अमेरिका के सिलिकॉन वैली में भी होगा अब शिवालय, काशी से मिली विशेष प्रेरणा

वाराणसी, जेएनएन। प्रवासी भारतीय दिवस में शामिल होने आए लोग काफी कुछ काशी से लेकर तो काफी कुछ देकर गए हैं, काशी आए एक दंपती का मानना है कि विश्‍व भर में शिव मंदिरों की स्‍थापना हो। दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान काशी के विकास से लेकर भारतवंशियों के योगदान देने को लेकर भी उन्‍होंने अपने विचारों को साझा किया। बताया कि आखिर विदेश में रहते हुए कैसे जड़ों से संबंध बनाये रखना जरूरी है। इसके उन्‍होंने उपाय भी सुझाए।

सिलिकॉन वैली में होगा शिवालय : काशी में प्रवासी भारतीय दिवस में शामिल होना किसी सौभाग्य से कम नहीं। द्वादश ज्योर्तिलिंग की देश में मान्यता है मगर मॉरीशस के प्रधानमंत्री वहां शिवालय की स्थापना पर बात करते हैं तो यह भारतवंशियों के लिए भी अवसर है कि अपने देशों में एक शिवालय स्थापित करें। मैं अपने स्तर पर सिलिकॉन वैली में भगवान शिव को समर्पित एक शिवालय की स्थापना करना चाहूंगा। यह प्रेरणा मुझे काशी आकर मिली है। काशी में विश्वनाथ कारीडोर ऐसी संकल्पना है जिससे काशी आने वाले भारतवंसियों के लिए सौ वर्षों तक बाबा विश्वनाथ का दर्शन यादगार साबित होगा। ऐसे मेगा प्रोजेक्ट्स की जरूरत देश को है ताकि देश के विकास को और भी गति मिल सके। स्वयं भी एक सत्र में शामिल हो रहा हूं, संवाद के क्रम में मेगा परियोजनाओं पर भी दो पक्षीय संवाद होगा। हालांकि ऐसे आयोजन को सफल तभी माना जाएगा जब इसके निष्कर्ष जमीनी हों, मगर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को यकीनन गति मिलेगी। - उपेंद्र गिरी, सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका।


देश के साथ :  बचपन से ही देश के बाहर चली गई, मगर यहां की यादें हमेशा साथ थीं। 27 साल पहले शादी तय होने पर मैंने बनारस आकर ही सारी खरीदारी की थी। तब में और अब में काशी काफी बदल चुकी है। एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत ने अभिभूत किया, लगा मानो अपने घर पहुंच गए हैं। लेखन और शोध जैसे कार्यों से जुड़ाव की वजह से भी देश उन हालातों में भी यादों में बना रहता है जब आप कुछ नया रचने जा रहे हों। आखिरकार उसका लाभ आपकी मातृभ‍ूमि को भी मिले यह भी जरूरी है। क्‍योंकि इससे आप अपनी जड़ों से काफी करीब से जुड़ जाते हैं। - सीमा गिरी, अमेरिका। 

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