आरटीआई के दम पर चुनावी बिगुल फूंकने लगे प्रत्याशी, ब्लाक और तहसील पर लगा शिकायतों का अंबार

पंचायत चुनाव की आहट अब गांव की गलियों से निकलकर थाने ब्लाक व तहसील तक पंहुचने लगी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 01 Dec 2019 07:30 AM (IST) Updated:Sun, 01 Dec 2019 07:30 AM (IST)
आरटीआई के दम पर चुनावी बिगुल फूंकने लगे प्रत्याशी, ब्लाक और तहसील पर लगा शिकायतों का अंबार
आरटीआई के दम पर चुनावी बिगुल फूंकने लगे प्रत्याशी, ब्लाक और तहसील पर लगा शिकायतों का अंबार

बलिया, जेएनएन। पंचायत चुनाव की आहट अब गांव की गलियों से निकलकर थाने ब्लाक व तहसील तक पंहुचने लगी है। क्रीच चढ़ाकर संभावित प्रत्याशी लोगों के निजी कामों के लिए मैदान में उतरने लगे हैं। इसी के साथ वर्षो से दबे-रुके नाली, नाबदान व चकरोड के मामले भी सामने आने लगे हैं।       

विगत एक माह में समूचे क्षेत्र से एक के बाद एक कई गांवों में इस तरह के संघर्षों की कहानी लोगों की जुबान पर है। सुबह टहलने वाले हों या चट्टी चौराहे की चौपाल सब जगह इस विषय पर चर्चा हो रही है। चुनावी तनातनी का आलम यह है कि अब गांव की चौपाल पर सुलझने वाले मामूली विवाद भी तहरीर की शक्ल मेें थाने पंहुच रहे हैं। इस राजनीतिक प्रपंच से जहां गांवों की सामाजिक समरसता खतरे में है वहीं गुटबाजी का दौर भी चरम पर है। 

वर्तमान प्रधानों की बढ़ी टेंशन

पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज होने के बाद सबसे ज्यादा झटका वर्तमान प्रधानों को लगा है। धड़ाधड़ पंचायतों के विकास कार्यो की सूचनाएं मांगी जा रही हैं। ऐसे सूचनार्थियों की संख्या दिन ब दिन बढऩे से ब्लाकर्मी भी सांसत में हैं। यही नहीं लगातार पड़ रही आरटीआई ने प्रधानों की टेंशन बढ़ा दी है। नरेगा, राज्य वित्त व चौदहवें राज्य वित्त की सभी जानकारी मांग कर लोग अभी से गंवई राजनीति का पारा बढ़ा रहे हैं। जिन प्रधानों को अपने कामकाज पर भरोसा है वे तो चैन से हैं वहीं कुछ प्रधान इसे लेकर खासा परेशान नजर आ रहे हैं। वैसे ग्राम पंचायत के खर्चों का हिसाब लेकर हर कोई चुनावी समर में उतरना चाहता है। कुछ तो सरेआम प्रधान की अनियमितताओं की घोषणा करते हुए चुनावी बिगुल तक फूंक दिये हैं।

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