बच्‍चों को निमोनिया और डायरिया से बचाव की दो लाख से अधिक वैक्‍सीन पहुंंची वाराणसी

prevent pneumonia and diarrhea बच्‍चों को निमोनिया और डायरिया से बचाव के लिए लगने वाली वैक्‍सीन की दो लाख से अधिक डोज वाराणसी पहुंच गई है। दरअसल कोरोना संक्रमण के बाद इसकी आपूर्ति बाधित चल रही थी।

By shivam singhEdited By: Publish:Sun, 02 Oct 2022 01:09 PM (IST) Updated:Sun, 02 Oct 2022 01:09 PM (IST)
बच्‍चों को निमोनिया और डायरिया से बचाव की दो लाख से अधिक वैक्‍सीन पहुंंची वाराणसी
बीमारियों से बचाव की दो लाख से अधिक वैक्‍सीन पहुंंची वाराणसी।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। पीसीबी की 2.20 लाख वैक्सीन की डोज वाराणसी पहुंची है। अब सोमवार से मरीजों को इस बाबत कोई परेशानी नहीं होगी। दरअसल पूर्व में कोरोना टीकाकरण के चलते आपूर्ति में समस्‍या आई थी।

पांच साल व इससे छोटे बच्चों की मृत्यु का मुख्य कारण निमोनिया और डायरिया होता है। बचाव को लेकर जिले में दो लाख 20 हजार पीसीबी ( न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) की डोज को मंगा लिया है। दरअसल यह कई दिनों से कोरोना टीकाकरण के चलते आने में दिक्कत हो गई थी।

स्वास्थ्य विभाग सोमवार से फिर नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लाभ देना शुरू कर देगी। जिससे इन बीमारियों के कारण बच्चों की मौत पर अंकुश लगाया जा सके। सोमवार की सुबह ही जिलास्तरीय और सीएचसी-पीएचसी केंद्रों पर पीसीबी की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। कोरोना टीकाकरण के चलते कुछ दिन से वैक्सीन की डोज खत्म ही गई थी।

सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने कहा कि पीसीबी वैक्सीन की व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया गया है। इसके बाद एक लाख से अधिक फिर से पीसीबी की वैक्सीन आने वाली है। जिससे जिले में निरंतर व्यवस्था बनी रहे। यह टीका एक साथ अनेकों बीमारी से बचाता है, जो बच्चों के लिए वरदान है। कोविड-19 के साथ निमोनिया, सेप्टीसीमिया व दिमागी बुखार हो जाने पर यह और भी जानलेवा हो जाता है। ऐसे में यह वैक्सीन अब नियमित टीकाकरण में शामिल कर लिया गया है।

कोविड-19 के साथ निमोनिया, सेप्टीसीमिया व दिमागी बुखार होता जानलेवा : महिला अस्पताल की हेल्थ वर्कर शाहिदा बेगम ने बताया कि न्यूमोकोकल वैक्सीन बच्चों को निमोनिया, सेफ्टिसेमिया व दिमागी बुखार आदि बीमारियों से बचाएगा। न्यूमोकोकल जीवाणु कान व पारानेजल साइनस में सूजन कर देता है। जिसके चलते बच्चों में बहरापन, सिर दर्द व बार-बार सर्दी-खांसी होती रहती है। इससे बचाव के लिए बच्चों को पहला डोज छह सप्ताह, दूसरा 14 सप्ताह एवं बूस्टर डोज 9-12 माह में दी जाती है।

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