भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थल वाराणसी में 20 वर्ष बाद हुआ 62 फीट ऊंचे मानस्तंभ का महामस्तकाभिषेक

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थली काशी के भेलूपुर में स्थापित मंदिर के परिसर में 20 वर्षों बाद मानस्तंभ का महामस्तकाभिषेक किया गया। संगीत एवं मंत्रोच्चार के बीच देश भर से आए श्रद्धालुओं ने आचार्य प्रमाण सागर के निर्देशन में 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 07:50 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 08:39 AM (IST)
भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थल वाराणसी में 20 वर्ष बाद हुआ  62 फीट ऊंचे मानस्तंभ का महामस्तकाभिषेक
20 वर्षों बाद मानस्तंभ का महामस्तकाभिषेक किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थली काशी के भेलूपुर में स्थापित मंदिर के परिसर में 20 वर्षों बाद मानस्तंभ का महामस्तकाभिषेक किया गया। संगीत एवं मंत्रोच्चार के बीच देश भर से आए श्रद्धालुओं ने आचार्य प्रमाण सागर के निर्देशन में 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया। वर्षों बाद यह अवसर पाकर श्रद्धालु विभोर नजर आए।

 62 फीट ऊंचे मानस्तंभ में संगमरमर की प्रतिमाओं के माध्यम से सभी तीर्थंकरों का संपूर्ण जीवन जन्म से मोक्ष तक अंकित है। तीन दिनों से चल रहे जैन धर्मावलंबियों के इस राष्ट्रीय आयोजन में पूरे देश से सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए थे। दिगंबर जैन समाज काशी के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि कोरोना के कारण अन्य भक्तों व श्रद्धालुओं के यहां रुकने पर प्रतिबंध था, इसलिए तीन दिनों में आए हजारों भक्त दर्शन-पूजन कर लौटते गए। उन्होंने बताया कि मानस्तंभ के शिखर तक पहुंचने के लिए लोहे की पाइपों से रास्ता बनाया गया था, जिसे एक सप्ताह में बनाया गया।

जैन धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है महामस्तकाभिषेक

महामस्तकाभिषेक जैन धर्म के महत्वपूर्ण उत्सवों में एक है। जैन समाज इस उत्सव का आयोजन वृहद स्तर पर करता है। बहुधा इस आयोजन का स्वरूप राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय होता है। इस बार कोरोना महामारी के चलते भक्तों से न आने की अपील जैन मुनि ने की थी।

20 वर्ष पूर्व हुआ था काशी में आयोजन

राजेश जैन बताते हैं कि 20 वर्ष पूर्व भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थली में जब अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाओं की स्थापना का समारोह आयोजित किया गया था, तब बड़ेे पैमाने पर महामस्तकाभिषेक आयोजित किया गया था। इसमें पूरे देश के श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बार भगवान पार्श्‍वनाथ की जन्मस्थली से उनके मोक्षस्थल सम्मेद शिखर झारखंड तक आयोजित धर्म प्रभावन पदयात्रा रथावर्तन के अवसर पर महामस्तकाभिषेक का आयोजन किया गया।

क्या होता है महामस्तकाभिषेक में

पवित्र सुगंधित कलशों में जल, इंदुरस, दूध, चावल का आटा, लाल चंदन, हल्दी, अष्टगंध, चंदन का चूरा, चार कलश, केसर, वृष्टि आदि को आरती के साथ महाशांतिधारा एवं महाअघ्र्य के रूप में सभी तीर्थंकरों को मंत्रोच्चारण के बीच समर्पित किया जाता है। इस दौरान कलशों की संख्या श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार 108 या 1008 रखी जाती है।

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