आइए, देखते हैं चार साल में कितना बदला सांसद मोदी का बनारस

सांसद मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों ने शहर में लटकते बिजली के तारों और उनके घने जाल को गायब करना शुरू कर दिया है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Sat, 26 May 2018 09:43 AM (IST) Updated:Thu, 31 May 2018 07:40 AM (IST)
आइए, देखते हैं चार साल में कितना बदला सांसद मोदी का बनारस
आइए, देखते हैं चार साल में कितना बदला सांसद मोदी का बनारस

वाराणसी [राकेश पांडेय]। 'साहब, थोडि़के देर में देश-विदेश के लोग एही रास्ते गंगा जी जइहें, तनिको मैला रह जाई त हमरे बनारस क बड़ा बदनामी होई। ये सुनने को मिला सफाई के उन पहरुओं से जो 2.30 बजे रात को अस्सी घाट को जाने वाले रास्ते में कूड़ा बुहार कर उसे ठेला गाड़ी पर लाद रहे थे। बड़ी ही खामोशी से अपने शहर में स्वच्छता की इबारत लिख रहे ये पहरुए आपको हर जगह दिख जाएंगे। पिछले चार सालों से शहर के लोगों में गांधी के उस कथन को झुठला देने का एक जज्बा और जुनून छाया है, जिसमें उन्होंने बनारस की गलियों में गंदगी का सवाल उठाया था। सफाई बनारस में आज एक ऐसी लगन बन गई है कि कोई किसी गली के भी किसी भी कोने को गंदा नहीं छोडऩा चाहता।

बदलते हुए बनारस में आपका स्वागत है। जिंदादिल लोगों से भरा यह जिंदा शहर कभी सोता नहीं, बल्कि अपने जर्रे-जर्रे की खबर लेता-देता रहता है। इसके गली-मोहल्लों, चट्टी-चौमुहानियों पर ठौर बनाये सतर्क निगहबानों की देख-रेख में बनारस आहिस्ता-आहिस्ता बदल रहा है। अब कोई पान की पीक सड़क पर पिच्च करके आसानी से नहीं बच निकल पाता। अगर बनारसी लहजे में कहा जाए, तो बनारसी उसे घेर उसकी पीक को वापस उसके कंठ में उतार देने तक की फजीहत कर देते हैं।

 

नरेंद्र मोदी के बनारस का सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक बनारस में भी दुश्वारियों का पहाड़ था। दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, सड़कें जर्जर, बिजली-पानी का संकट, कुंड-तालाब कब्जे में वगैरह-वगैरह। समय ने करवट ली और यह कहना गलत नहीं होगा कि बड़े ही कम समय में भी किसी शहर में बड़ा बदलाव लाए जा सकने की बनारस एक जीती-जागती मिसाल है। सांसद मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों ने शहर में लटकते बिजली के तारों और उनके घने जाल को गायब करना शुरू कर दिया है।

पीएम ने आइपीडीएस की सौगात दी तो शहर की कई कालोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए, अब पूरे शहर में यह कवायद बढ़ चली है। काशी की प्राचीनता से मेल खाते लैम्प पोस्टों (हेरिटेज पोल) से निकलती दूधिया रोशनी की चादर जहां जाइएगा, हमें पाइएगा के लहजे में आपका साथ ही नहीं छोड़ेगी। ऐसा नहीं सिर्फ यही बदला है। बहुत कुछ बदला है। शिक्षा, कला और स्थापत्य कला की इस राजधानी की जान घाटों में बसती है।

चार साल पहले तक घाटों का टूटना, दरकना और उनका चमक खोना परेशानहाल बनारसियों के माथे पर सिलवट ला देता था, लेकिन आज फिर से घाट उसी तरह जलवाफरोश होने लगे हैं। उन पर आने वालों और स्नान-ध्यान, पूजन-अर्चन के अलावा वहां अनवरत चल रहे कार्यक्रमों के सुर-सागर की सरिता में गोते लगाने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि बीते चार वर्षों में करीब 20 फीसद तक सैलानी बढ़े हैं। कुछ दुश्वारियां भी हैं। मां गंगा की पीड़ा हर कोई महसूस कर रहा है।

काशी के तीर्थ नगरी के स्वरूप में छेड़छाड़ न हो, इसको लेकर भी कभी-कभी आवाज उठती है। फिर भी गंगा मैली हैं के मिथक को तोड़ते हुए घाटों पर उमड़ता आस्था का सैलाब इस बात की तस्दीक करता है कि आज जो है, वो कल से बेहतर है, और कल जो होगा, आज से भी शानदार होगा। आइए, देखिए और फिर आप खुद कह उठेंगे कि वाकई बनारस बदल रहा है।

 

चार साल : सौगातों की बौछार

केंद्र सरकार के चार वर्ष 26 मई को पूरे हो जाएंगे। इन बीते वर्षों में काशी को बहुत कुछ मिला, 279 केंद्रीय परियोजनाओं को धरातल मिल गया। शहर को 15 हजार करोड़ से अधिक की सौगात मिल गई। कई परियोजनाएं पाइपलाइन में ही जो पूरे होने वाली है। केंद्र में सरकार बनने के बाद से अब तक बनारस के लिए तकरीबन 315 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं इनमें अब तक लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। निर्माणाधीन योजनाओं के पूरा होने के बाद यातायात से लेकर तमाम अन्य दिक्कतें भी खत्म हो जाएंगी। हां, सड़कों पर चलना सीखने के साथ ही अपने शहर को स्वच्छ, सुंदर और यहां के संसाधनों को संभालने लिए शहरियों को ही आंगेे आना पड़ेगा।

 

पूर्ण हो चुके विकास कार्य

253 करोड़ : ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर बड़ा लालपुर

15 करोड़ : मालवीय एथीक्स सेंटर बीएचयू

13.60 करोड़ : 153 सामुदायिक शौचालयों की निर्माण।

4.09 करोड़ : 68 स्थलों का हेरिटेज विकास।

15.52 करोड़ : हृदय योजना से 29 हेरिटेज सड़कें बनाईं।

4.50 करोड़ : दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड समेत तीन तालाबों का जीर्णोद्धार।

131.16 करोड़ : जलापूर्ति योजना प्रथम फेज।

2 करोड़ : डी सेंट्रलाइज्ड वेस्ट टू इनर्जी पहडिय़ा प्लांट।

-36821 एलईडी स्ट्रीट लाइट

-3810 हेरिटेज पोल

 

निर्माणाधीन कार्य

- 4447 करोड़ : एनएचएआइ द्वारा एनएच 56, एनएच 233, एनएच 29 व रिंग रोड प्रथम फेज

- 812.36 करोड़ : सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाबतपुर से वाराणसी तक फोर लेन निर्माण कार्य।

- 30 करोड़ : गेल द्वारा वाराणसी शहरी गैस वितरण योजना का काम अंतिम चरण में।

- 159.59 करोड़ : भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आइडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल रामनगर।

- 4.35 करोड़ : भारतीय कंटेनर निगम लिमिटेड द्वारा पेरिशेबल कार्गो राजातालाब का निर्माण कार्य। 

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