हाइवे पर व शहर के अंदर ओवरलोड वाहनों से दबा कानून, लखनऊ की एक एजेंसी के सर्वे में मामला आया सामने
हाइवे पर तथा शहर के अंदर भूसा मिट्टी ईंट गिट्टी-बालू ढोने वाले ट्रैक्टरों से हादसे ज्यादा हो रहे हैं। वहीं परिवहन विभाग और पुलिस शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय हाथ पर हाथ धरे है।
वाराणसी, जेएनएन। हाइवे पर तथा शहर के अंदर भूसा, मिट्टी, ईंट, गिट्टी-बालू ढोने वाले ट्रैक्टरों से हादसे ज्यादा हो रहे हैं। वहीं परिवहन विभाग और पुलिस शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ओवरलोड ट्रैक्टरों से टक्कर होने पर जान नहीं बचती है। यदि इन पर कार्रवाई हो तो हादसे कम होंगे। यह सवाल लखनऊ की एक एजेंसी ने उठाया है। एजेंसी ने बनारस में सर्वे कर रिपोर्ट परिवहन विभाग (मुख्यालय) को सौंपी है। रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए शासन ने ओवरलोड ट्रैक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
शासन ने किसानों की सुविधा के लिए ट्रैक्टर को टैक्स से मुक्त रखा है। खेती में ट्रैक्टर का पंजीयन कराने पर फीस नहीं लगती। विलंब होने पर 100 रुपये फीस लगती है। लेकिन लोग खेती के नाम पर पंजीयन कराकर व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यातायात, पुलिस और परिवहन अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी कार्रवाई नहीं करते। इस बारे में एआरटीओ (प्रशासन) सर्वेश सिंह ने कहा कि खेती में पंजीकृत ट्रैक्टर का व्यावसायिक इस्तेमाल होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। अनाधिकृत रूप से चलने वाले 138 ट्रैक्टरों का जनवरी से लेकर अब तक चालान किया जा चुका है।
अप्रशिक्षित होते हैं चालक
ट्रैक्टर चलाने वाले ज्यादातर चालक अप्रशिक्षित व नाबालिग होते हैं। उन्हें नियम-कानून मालूम नहीं होता। जैसे मन करता है वैसे सड़क पर चलाते हैं जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।
एक नजर -
138 - ओवरलोड ट्रैक्टर का एक साल में किया गया चालान
9606 -ट्रैक्टर कृषि में पंजीकृत
162 - ट्रैक्टर व्यावसायिक तौर पर पंजीकृत
3570 - रुपये वार्षिक टैक्स टैक्टर-ट्राली व्यावसायिक पंजीकृत कराने पर।